कोरोना वायरस: लॉकडाउन में और दुकानें खोलने के लिए आए निर्देश



कोरोना वायरस: लॉकडाउन में और दुकानें खोलने के लिए आए निर्देश – प्रेस रिव्यू

कोरोना

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार देर रात दिशा निर्देश जारी करते हुए नगर पालिका के अंदर और बाहर आने वाली दुकानों को खोलने को लेकर नियमों में ढील दी.
द इंडियन एक्सप्रेस अख़बार के अनुसार, एक ओर जहां अहमदाबाद, सूरत, हैदराबाद और चेन्नई के इलाक़े 'बड़े हॉटस्पॉट ज़िले या उभरते हॉटस्पॉट' बनकर उभरे हैं वहीं दूसरी ओर सरकार ने ग्रामीण और शहरी इलाक़ों में दुकानों को खोलने को लेकर नियमों में ढील दी है.
हालांकि, यह दिशा निर्देश कोविड कंटेनमेंट ज़ोन और हॉटस्पॉट में लागू नहीं होंगे.
नए दिशा निर्देश के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान ग्रामीण इलाक़ों के मार्केट कॉम्प्लेक्स और रिहायशी इलाक़ों में सभी दुकानें खुल सकेंगी. नगर निगम की सीमा के बाहर सभी इलाक़ों को ग्रामीण इलाक़ा माना जा सकता है लेकिन इसमें शराब की दुकानें नहीं खुलेंगी.
मॉल और बड़े शॉपिंग कॉम्प्लेक्स अब भी ग्रामीण और शहरी इलाक़ों में नहीं खुल सकेंगे.

डिज़ास्टर मैनेजमेंट क़ानून के तहत राज्य इस दिशा निर्देश को चाहे तो नहीं भी लागू कर सकते हैं.
इस नए दिशा निर्देश को ग्रामीण क्षेत्र में लघु अर्थव्यवस्था को वापस खोलने के तौर पर देखा जा रहा है.
वाणिज्यिक और निजी प्रतिष्ठानों की श्रेणी के तहत अब दुकानें खुल सकती हैं. इसमें नगर पालिका के अंतर्गत आने वाले शहरी क्षेत्र शामिल हैं. लेकिन इसमें भी सिर्फ़ वही दुकानें खुल सकेंगी जो 'राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के दुकान एवं स्थापना अधिनियम' के तहत रजिस्टर्ड होंगी.

इसका अर्थ ये हुआ कि शराब की दुकानों समेत वो दुकानें नहीं खुल सकेंगी जो किसी और अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड होंगी क्योंकि शराब की दुकान का रजिस्ट्रेशन एक्साइज़ क़ानून के तहत होता है.
शहरी क्षेत्र के मार्केट कॉम्प्लेक्स, सिंगल ब्रैंड और मल्टि ब्रैंड मॉल में मौजूद दुकानें अब भी नहीं खुल सकेंगी. हालांकि, नगर पालिका के बाहर क्षेत्र की 'आवासीय कॉम्प्लेक्स और मार्केट कॉम्प्लेक्स समेत सभी दुकानें' खुल सकेंगी.
इसके तहत दुकानों में सिर्फ़ '50 फ़ीसदी कर्मचारियों की क्षमता' ही काम करेगी और जिनको 'मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना' अति आवश्यक होगा.
वहीं, केंद्र ने गुजरात, तेलंगाना और तमिलनाडु के चार ज़िलों को निगरानी में रखा है जहां 5,000 से अधिक कोरोना संक्रमण के मामले हैं. 

डॉक्टर हर्षवर्धन

'ख़राब रैपिड एंटीबॉडी टेस्टिंग किट को वापस भेजेंगे'

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा है कि कोरोना वायरस के टेस्ट के लिए विदेशों से मंगाई गई जिन भी रैपिड एंटीबॉडी टेस्टिंग किट में ख़ामी पाई गई है उनको वापस भेजा जाएगा, चाहे वो चीन से आई हो या कहीं और से.
अंग्रेज़ी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया का कहना है कि वीडियों कॉन्फ़्रेंसिंग के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने यह बातें कहीं.

कोविड-19 को लेकर किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा, "एंटीबॉडी टेस्टिंट किट्स अगर ठीक से काम नहीं कर रही हैं तो उन्हें वापस किया जाएगा, चाहे वो चीन से आई हों या किसी और देश से. हमने किट के लिए अभी तक भुगतान नहीं किया है."
डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि टेस्ट के परिणाम अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग हो सकते हैं और इन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. इसके परिणाम कितने सटीक हैं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस पर टिपप्णी नहीं की है. टेस्ट और किट कितने सक्षम हैं आईसीएमआर इसकी समीक्षा कर रहा है और वह जल्द ही नए दिशा निर्देश के साथ सामने आएगा.

 दिल्ली दंगे

दिल्ली दंगे: छात्र नेता, पीएफ़आई पुलिस के रडार में

फ़रवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के मामले में दिल्ली पुलिस पॉप्युलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफ़आई) और जामिया कॉर्डिनेशन कमिटी (जेसीसी) के कई सदस्यों पर कार्रवाई करने की तैयारी में है.
अंग्रज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के दो छात्रों और जेएनयू के पूर्व छात्र उमर ख़ालिद समेत चार लोगों पर ग़ैर-क़ानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने के बाद दिल्ली पुलिस कुछ और लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने जा रही है.
अख़बार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि दिल्ली पुलिस पीएफ़आई, जेसीसी, पिंजरा तोड़, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन के कई सदस्यों समेत दिल्ली विश्वविद्यालय और जेएनयू के पूर्व और वर्तमान छात्रों पर कार्रवाई कर सकती है.
इन सबके अलावा पुलिस की रडार में एक प्रोफ़ेसर भी है.
पुलिस सूत्रों का कहना है कि उसने जिन नौ लोगों को गिरफ़्तार किया है उनकी वॉट्सअप चैट से मालूम चला है कि ये सभी संगठन एक-दूसरे के संपर्क में थे.



 

सेप्सिवैक दवा, जिससे कोरोना के इलाज की है उम्मीद

सेप्सिवैक दवा, जिससे कोरोना के इलाज की है उम्मीद

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कोरोना वायरस (कोविड19) के इलाज के लिए लगातार दवाई और वैक्सीन बनाने की कोशिश की जा रही है. दुनिया भर में इसके लिए प्रयास हो रहे हैं.
इन्हीं कोशिशों में कुछ दवाइयों का ट्रायल किया जा रहा है जो कोविड19 के इलाज में मदद कर सकती हैं.
भारत में हाल ही में एक नई दवाई के क्लीनिकल ट्रायल को मंजूरी दी गई है. ये दवाई है सेप्सिवैक (Sepsivac).
इस दवाई का इस्तेमाल ग्राम नेगेटिव सेप्सिस बीमारी के इलाज में किया जाता है. 21 अप्रैल को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने इस संबंध में जानकारी दी.
स्वास्थ्य मंत्रालय के सुंयक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया, “काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च (सीएसआईआर) कोविड19 के गंभीर रूप से बीमार मरीज़ों में मृत्यु दर कम करने के लिए एक दवाई की क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए क्लिनिकल ट्रायल की शुरुआत करेगा. ग्राम नेगेटिव सेप्सिस के मरीजों और कोविड19 मरीजों में क्लिनिकल लक्षणों की समानता होने के कारण ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने ट्रायल की अनुमति दे दी है जो जल्दी ही कई अस्पतालों में शुरू किया जाएगा.”


सेप्सिवैक के ट्रायल के लिए तीन अस्पताल चुने गए हैं. इनमें पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़, एम्स दिल्ली और भोपाल शामिल हैं. यहां पर 50 कोविड19 के मरीज़ों पर सेप्सिवैक का परीक्षण किया जाएगा.
सीएसआईआर के महानिदेशक डॉक्टर शेखर सी. मंडे बताते हैं, “कैडिला फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड ने इस दवाई का निर्माण किया है और सीएसआईआर के सहयोग से तीन अस्पतालों में परीक्षण किया जाएगा. तीन में से एक अस्पताल को एथिक्स कमिटी से अनुमति मिल गई है. बाकी दो को मंज़ूरी मिलना बाकी है. जैसे ही अनुमति मिल जाएगी वैसे ही हम ट्रायल शुरू करवा देंगे. कोविड19 के गंभीर मामलों वाले 50 मरीज़ों पर ये ट्रायल किया जाएगा.”

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तीन तरह के ट्रायल
सीएसआईआर ने डीसीजीआई से तीन अलग-अलग ट्रायल के लिए अनुमति मांगी थी. पहले ट्रायल में गंभीर मामलों वाले मरीजों पर परीक्षण होगा.
दूसरे में, जो मरीज आईसीयू में नहीं हैं लेकिन कोविड19 का इलाज करा रहे हैं उन पर थोड़ा बड़ा परीक्षण होगा.
तीसरे ट्रायल में, जो मरीज ठीक हो चुके हैं, उन्हें ये दवा देकर दुबारा कोविड19 होने से रोका जा सके, इसके लिए परीक्षण किया जाएगा.
सीएसआईआर का कहना है कि फिलहाल साफतौर पर ऐसे प्रमाण नहीं मिले हैं कि ठीक होने के बाद फिर से कोविड19 हुआ हो. हालांकि, इन तीनों ट्रायल के लिए मंज़ूरी मिल चुकी है. पहले ट्रायल में मरीज़ों की संख्या कम है तो इसके दो-तीन महीनों में नतीजे आ सकते हैं.
सेप्सिवैक दवा का निर्माण
फिलहाल सेप्सिवैक दवा एंटी ग्राम सेप्सिस में इस्तेमाल होती है.
अहमदाबाद की कैडिला फार्मास्यूटिकल्स ने सेप्सिवैक दवा का निर्माण किया है.
इस दवा का निर्माण सीएसआईआर के सहयोग से ग्राम-नेगेटिव सेप्सिस के मरीज़ों के इलाज के लिए किया गया था. ये प्रोजेक्ट सीएसआईआर की ‘न्यू मिलेनियम इंडियन टेक्नोलॉजी’ पहल के तहत चलाया गया था.
कंपनी को ग्राम नेगेटिव सेप्सिस के लिए इस दवा के क्लीनिकल ट्रायल में सफलता मिली थी.
कंपनी की वेबसाइट पर लिखा है, “सेप्सिवैक में माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू होता है जो सेप्सिस के मरीज़ों में प्रतिरक्षा (इम्यूनिटी) प्रतिक्रिया को नियंत्रित करता है. इस दवाई को सेप्सिस और सेप्टिक शॉक में इम्यूनोथेरेपी के इलाज के लिए डीसीजीआई से अनुमति प्राप्त है. इसके आकस्मिक ट्रायल में सेप्सिस के मरीज़ों में मृत्यु दर में 11 प्रतिशत पूर्ण कमी और 55.5 प्रतिशत सापेक्ष कमी देखी गई है. सेप्सिवैक के कारण वेंटिलेटर पर, आईसीयू में, अस्पताल में कम रहना पड़ता है.”
डॉक्टर शेखर मंडे भी कहते हैं कि सेप्सिस के ट्रायल में ये पाया गया था कि सेप्सिवैक कुल मृत्यु दर को 50 प्रतिशत से कम ले आता है. ये इंसान की प्रतिरक्षा प्रणाली को बूस्ट करता है यानी ताकत देता है. इसलिए कोविड19 के लिए भी इसके क्लीनिकल ट्रायल पर विचार किया गया.

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कैसे काम करती है सेप्सिवैक
इस ट्रायल का आधार है कि एंटी ग्राम सेप्सिस और कोविड19 के लक्षणों में कुछ समानता है इसलिए सेप्सिवैक दवा कोविड19 में भी मदद कर सकती है.
ऐसे में जानते हैं कि ये समानता क्या है और सेप्सिवैक दवा इसमें कैसे काम करती है.
सबसे पहले जानते हैं कि सेप्सिस क्या है. सेप्सिस एक ऐसी बीमारी है जो शरीर में किसी संक्रमण से होती है. इसमें हमारी रोग प्रतिरोधक प्रणाली अत्यधिक सक्रिय हो जाती है.
बीमारी की शुरुआत शरीर में किसी प्रकार के बैक्टीरियल संक्रमण से होती है. जैसे शरीर के किसी हिस्से में खरोंच या कट जाना, कीड़े का काट लेना.
लेकिन यदि संक्रमण शरीर में तेज गति से फैलने लगता है तो प्रतिरक्षा प्रणाली इसे रोकने के लिए उससे भी तेज गति से काम करना शुरू कर देती है.
ऐसे में प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस के साथ-साथ स्वस्थ कोशिकाओं पर भी हमला करना शुरू कर देती है. इसकी वजह से शरीर में कई अंग काम करना बंद करने लगते है जैसे किडनी, लीवर आदि. इसमें मौत भी हो सकती है.
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क्या होता है ग्राम नेगेटिव सेप्सिस
सीएसआईआर की जम्मू स्थित लैब के निदेशक डॉक्टर राम विश्वकर्मा बताते हैं, “बैक्टीरियल इंफेक्शन दो तरह के होते हैं- एक ग्राम नेगेटिव और दूसरा ग्राम पॉजिटिव. सेप्सिस भी ग्राम नेगेटिव और ग्राम पॉजिटिव दोनों हो सकता है. ये दोनों अलग-अलग तरह के बैक्टीरिया से होते हैं. ग्राम नेगेटिव बैक्टीरिया सबसे खतरनाक होते हैं. हमारे पास उनकी ज़्यादा दवाइयां नहीं हैं. इसमें 50 से 60 प्रतिशत मामलों में मौत हो जाती है. अधिकतर एंटी-बायोटिक ग्राम पॉजिटिव के लिए हैं.”
“ग्राम नेगेटिव सेप्सिस में प्रतिरक्षा प्रणाली अतिसक्रिय हो जाती है और शरीर को नुक़सान पहुंचाने लगती है. इसे साइटोकाइन स्ट्रॉम भी कहा जाता है. कोविड19 के गंभीर मामलों में भी बिल्कुल यही देखने को मिला है. इसमें जब संक्रमण बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है तो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अतिसक्रिय हो जाती है. हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली उलझन में आ जाती है और वो स्वस्थ कोशिकाओं पर भी हमला कर देती है और इससे शरीर के अंग खराब होना शुरू हो जाते हैं.”
डॉक्टर राम विश्वकर्मा बताते हैं कि बीमारी में सेप्सिवैक शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है. प्रतिरक्षा प्रणाली के कई कॉम्पॉनेंट होते हैं. जो फायदेमंद इम्यूनिटी है ये दवाई उनको बढ़ाने में मदद करेगी और जो इम्यूनिटी अतिसक्रिय हो गई है उसे नियंत्रित करेगा. इम्यूनिटी के बिना इंसान ज़िंदा नहीं रह सकता लेकिन अगर अतिसक्रिय हो गई तो ये मार देती है.
डॉक्टर राम विश्वकर्मा कहते हैं, “एक अच्छी बात ये है कि सेप्सिवैक को ग्राम नेगेटिव सेप्सिस के लिए अनुमति मिल चुकी है. जब एक बार किसी दवाई को अनुमति मिल जाती है तो इसका मतलब है कि वो इंसानों के लिए सुरक्षित है. अब हमें ये देखना है कि ये दवाई कोविड19 में कोई फायदा कर सकती है या नहीं. इसे रिपर्पजिंग बोलते हैं यानी पुन: एक और उद्देश्य के लिए इस्तेमाल होना. बिल्कुल नई दवाई बनाने में सालों लग जाते हैं.”





कोरोना वायरस: मौत और मातम के बीच काम करने वाले डॉक्टरों ने बताया अपना अनुभव

कोरोना वायरस: मौत और मातम के बीच काम करने वाले डॉक्टरों ने बताया अपना अनुभव

कोरोना वायरस, डॉक्टर

डॉ. मिलिंद बाल्दी उस वक़्त कोविड-19 वॉर्ड में ड्यूटी पर थे जब 46 साल के एक शख़्स को सांस लेने की समस्या के साथ व्हील चेयर पर लाया गया.
वह व्यक्ति काफ़ी डरा हुआ था और लगातार एक ही सवाल पूछ रहा था, "क्या मैं ज़िंदा बच जाऊंगा?"
वो गुहार लगा रहे थे, "कृपया मुझे बचा लो, मैं मरना नहीं चाहता."
डॉ. बाल्दी ने भरोसा दिया कि वो बचाने की हरसंभव कोशिश करेंगे. यह दोनों के बीच आख़िरी बातचीत साबित हुई. मरीज़ को वेंटिलेटर पर रखा गया और दो दिन बाद मौत हो गई.
इंदौर के अस्पाल में जब मरीज़ को लाया उसके बाद के डरावने 30 मिनट को याद करते हुए डॉक्टर बाल्दी ने बताया, "वह मेरा हाथ पकड़े रहा. आँखों में डर भी था और दर्द भी. मैं उस चेहरा कभी नहीं भूल पाऊंगा."

 

उस मरीज़ की मौत ने डॉ. बाल्दी पर गहरा असर डाला है. उन्होंने बताया, "उसने मेरी आत्मा को अंदर से हिला दिया और दिल में एक शून्य छोड़ गया."
बाल्दी जैसे डॉक्टरों के लिए क्रिटिकल केयर वॉर्ड में मरीज़ों को मरते देखना कोई नई बात नहीं है. लेकिन वो कहते हैं कि मनोवैज्ञानिक तौर पर कोविड-19 वॉर्ड में काम करने की तुलना किसी से नहीं हो सकती.

डॉ. मिलिंद बाल्दी
डॉ. मिलिंद बाल्दी
अधिकांश कोरोनावायरस मरीज़ों को आइसोलेशन में रखा जाता है. इसका मतलब है कि गंभीर रूप से बीमार होने पर अंतिम समय में उनके आसपास डॉक्टर और नर्स ही मौजूद होते हैं.
दक्षिण भारत के इर्नाकुलम मेडिकल कॉलेज के क्रिटिकल केयर विभाग के प्रमुख डॉ. ए. फ़ताहुद्दीन ने कहा, "कोई भी डॉक्टर ऐसी स्थिति में रहना नहीं चाहेगा."
डॉक्टरों के मुताबिक़ भावनात्मक बातों को वे मरीज़ के परिवार वालों के साथ शेयर किया करते हैं लेकिन कोविड-19 उन्हें यह मौक़ा भी नहीं दे रहा है.
डॉ. फताहुद्दीन
डॉ. फताहुद्दी

डॉ. ए. फ़ताहुद्दीन ने बताया कि अस्पताल में कोविड-19 से मरने वाले एक मरीज़ की आंखों के सूनेपन को वे कभी नहीं भूल पाएंगे. उन्होंने बताया, "वह बात नहीं कर पा रहा था, लेकिन उसकी आंखों में दर्द और डर साफ़ नज़र आ रहा था."

उस मरीज़ के अंतिम समय में उसके आसपास कोई अपना मौजूद नहीं था. डॉ. फ़ताहुद्दीन इस बात को लेकर बेबस दिखे. लेकिन उन्हें एक उम्मीद दिखी- मरीज़ की पत्नी को भी कोरोना वायरस के इलाज के लिए इसी अस्पताल में लाया गया था.
डॉ. फताहुद्दीन उन्हें पति के वॉर्ड में लेकर आए. वहां उसने पति को गुडबाइ कहा. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि 40 साल चली उनकी शादी का अंत अचानक इस तरह होगा.
अनुभवी डॉक्टर होने के बाद भी फताहुद्दीन ने बताया कि इस घटना उन्हें बेहद भावुक कर दिया. हालांकि उन्हें इस बात का संतोष भी है कि मरीज़ की मौत अपनी पत्नी को देखने के बाद हुई.
उन्होंने बताया, "लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता. कड़वा सच यही है कि कुछ मरीज़ों की मौत अपने परिजनों को गुडबाइ कहे बिना हो रही है."

डॉक्टर मीर शाहनवाज़
डॉक्टर मीर शाहनवाज़
डॉक्टरों पर भी इन सबका भावनात्मक असर होता है. ज्यादातर डॉक्टर अपने परिवार से दूर आइसोलेशन में रह रहे हैं लिहाजा परिवार की ओर से मिलने वाला भावनात्मक सहारा भी उन्हें नहीं मिल पाता है.
इसके असर के बारे में श्रीनगर के गर्वनमेंट चेस्ट हॉस्पीटल के डॉक्टर मीर शाहनवाज़ ने बताया, "हम लोगों को केवल बीमारी से ही नहीं लड़ना पड़ रहा है. हम नहीं जानते हैं कि अपने परिवार से कब मिल पाएंगे, हर पल संक्रमित होने का ख़तरा अलग है. ऐसी स्थिति में समझ में आता है कि हमलोग किस बड़े ख़तरे का सामना कर रह हैं."
इतना ही नहीं, इन तनावों के अलावा डॉक्टरों को मरीज़ों के भावनात्मक ग़ुस्से को झेलना पड़ता है.
डॉ. शाहनवाज़ ने बताया, "मरीज़ काफ़ी डरे होते हैं, हमें उन्हें शांत रखना होता है. हमें डॉक्टर के साथ-साथ उनके दोस्त की भूमिका भी निभानी होती है."
इसके अलावा डॉक्टरों को मरीज़ों के परिवार वालों को फ़ोन कॉल करने होते हैं और उनके डर और चिंताओं को भी सुनना होता है. डॉ. शाहनवाज़ के मुताबिक़ यह सब भावनात्मक रूप से काफ़ी थकाने वाला होता है.
उन्होंने कहा, "जब आप रात में अपने कमरे में पहुंचते हैं तो यह बातें आपको परेशान करती हैं. अनिश्चितता को लेकर डर भी होता है क्योंकि हमें नहीं मालूम कि हालात कितने ख़राब होंगे."

कोरोना वायरस, डॉक्टर 

शाहनवाज़ साथ में यह भी बताते हैं, "डॉक्टरों का काम दूसरों का जीवन बचाना होता है. हमलोग यह करते रहेंगे चाहे जो हो. लेकिन सच्चाई यह भी है कि हम लोग भी इंसान हैं, इसलिए हमें भी डर लगता है."
उन्होंने बताया कि उनके अस्पताल में कोरोना वायरस से हुई पहली मौत ने उनके साथियों के हिम्मत को तोड़ दिया था क्योंकि तब उन्हें पता चला था कि कोविड-19 मरीज़ को अपने परिजनों की अंतिम झलक देखने का मौक़ा भी नहीं देता है.
शाहनवाज़ ने बताया, "परिवार वाले मरीज़ के अंतिम पलों को याद रखना चाहते हैं, शिथिल पड़ती मुस्कान, कुछ अंतिम शब्द और भी कुछ जिसे सहेजा जा सके. लेकिन उन्होंने मृतक का ठीक से अंतिम संस्कार करने का मौक़ा नहीं मिलता."
डॉ. फ़ताहुद्दीन के मुताबिक़ ऐसे मनोवैज्ञानिक दबावों को समझे जाने की ज़रूरत है और इसलिए प्रत्येक अस्पताल में मरीज़ों के साथ-साथ डॉक्टरों के लिए भी एक मनोचिकित्सक को रखने की ज़रूरत है.
उन्होंने बताया, "मैंने अपने अस्पताल में ऐसा किया है. यह ज़रूरी है, नहीं तो भावनात्मक घाव इतने गहरे हो जाएंगे कि उन्हें भरना मुश्किल हो जाएगा. फ्रंटलाइन वर्करों में पोस्ट ट्रूमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर दिखाई देने लगे हैं."



















कोरोना वायरस: क्या देश की सबसे बड़ी मंडी के बंद होने का ख़तरा है?

कोरोना वायरस: क्या देश की सबसे बड़ी मंडी के बंद होने का ख़तरा है?

 मंडी

राजधानी दिल्ली में स्थित देश की सबसे बड़ी सब्ज़ी और फल मंडी में कोविड-19 की वजह से एक शख़्स की मौत हो चुकी है और मंडी के चार आढ़ती अस्पताल में भर्ती कराए गए हैं. 

स्थानीय प्रशासन का दावा है कि मंडी में काम करने वाले सैकड़ों लोगों की अब तक जाँच की जा चुकी है.
मंडी में कोरोना वायरस महामारी को लेकर दहशत है, लेकिन 'मंडी की क़रीब 300 दुकानें बंद करा दी गई' हैं, इस बात को दिल्ली सरकार ने अफ़वाह बताया है. मंडी के आढ़तियों ने बीबीसी से बातचीत में भी इसकी पुष्टि की.

22 मार्च 2020 को लॉकडाउन शुरू होने के बाद भी इस तरह की अफ़वाह सोशल मीडिया पर देखने को मिली थी, लेकिन पिछले दिनों मंडी में काम करने वाले 57 वर्षीय भोला नाथ की मौत से पूरे आज़ादपुर में जो तनाव फैला, उससे इस अफ़वाह को एक बार फिर बल मिला.

आज़ादपुर मंडी में जो लोग भोला नाथ को जानते थे, उनका कहना है कि वे शुगर और हार्ट के मरीज़ थे.

 

कोरोना मरीज़ों को रिस्टबैंड से ट्रैक करने की तैयारी

कोरोना मरीज़ों को रिस्टबैंड से ट्रैक करने की तैयारी

रिस्टबैंड

कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने में सरकार को तीन जगहों पर सबसे ज़्यादा दिक़्क़त रही है, 

• संक्रमण को ठीक करने में लगे डॉक्टर और नर्स ख़ुद संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं
• हॉटस्पॉट एरिया में रहने वाले लोग घरों और आइसोलेशन में रहने को राज़ी नहीं हैं
• क्वारंटीन छोड़ कर लोग भाग रहें हैं, कई लोग नियमों का पालन करने को तैयार नहीं हैं. 

इन तीनों समस्याओं का तोड़ निकालने के लिए सरकार की एक कंपनी ब्रॉडकास्ट इंजिनियरिंग कंसल्टेंट इंडिया लिमिटेड ख़ुद सामने आई है. ये कंपनी भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अंदर काम करती है.

 

 

 

 

कोरोना वायरस के संक्रमण के दौर में कैसे रखें रमज़ान के रोज़े

कोरोना वायरस के संक्रमण के दौर में कैसे रखें रमज़ान के रोज़े?

पूरी दुनिया में लाखों लोग इस साल लॉकडाउन में रमज़ान के पवित्र महीने का पालन करेंगे.

मुस्लिम धर्म मानने वाले लोग हर साल एक चंद्र मास तक सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक बिना कुछ भी खाए-पिए रहते हैं. इसे रोज़ा रखना कहते हैं. यह महीना 29 या 30 दिन का होता है.

इस दौरान मुसलमान नमाज़ पढ़ते हैं और दुआएं मांगते हैं.

मुस्लिम धर्म मानने वाले हर ऐसे वयस्क शख्स के लिए रोज़े रखना अनिवार्य है जो कि बिना कुछ भी खाए-पिए सुरक्षित रह सकता है.

लेकिन, ऐसे वक़्त में जबकि हम एक महामारी के दौर से गुज़र रहे हैं, रोज़े रखने को लेकर कुछ चिंताएं भी हैं.







कोरोना वायरस वैक्सीन: टूटी उम्मीद ट्रायल में फेल हुआ रेमडेसिवयर

कोरोना वायरस वैक्सीन: टूटी उम्मीद ट्रायल में फेल हुआ रेमडेसिवयर

 रैंडम क्लिनिकल ट्रायल में फेल

कोरोना वायरस के संक्रमण में एक प्रभावी एंटी वायरल ड्रग के फेल होने की ख़बर है.

यह पहले ही रैंडम क्लिनिकल ट्रायल में फेल हो गई. इसे लेकर दुनिया भर में उम्मीद थी. इस एंटी वायरल ड्रग का नाम रेमडेसिवयर है. चीनी ट्रायल में यह ड्रग नाकाम रही. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन के दस्तावेजों के इसकी जानकारी मिली है.
कुल 237 मरीज़ों में से कुछ को वो ड्रग दी गई और कुछ को प्लेसीबो. एक महीने बाद ड्रग लेने वाले 13.9% मरीज़ों की मौत हो गई जबकि इसकी तुलना में प्लेसीबो लेने वाले 12.8% मरीज़ों की मौत हुई. साइड इफेक्ट के कारण ट्रायल को पहले ही रोक दिया गया. इस ड्रग के पीछे एक अमरीकी फर्म गिलिएड साइंस था.
रेमडेसिवयर ड्रग को लेकर काफ़ी उम्मीद थी. रेमडेसिवयर ड्रग से मरीज़ में कोई सुधार देखने को नहीं मिला. मतलब रेमडेसिवयर ड्रग देने से मरीज़ के ख़ून में रोगाणु कम नहीं हुए. इसके फेल होने की रिपोर्ट को WHO ने विस्तार से प्रकाशित किया था. बाद में WHO ने कहा कि ड्राफ़्ट रिपोर्ट ग़लती से अपलोड हो गई थी और रिपोर्ट को हटा लिया.
रिपोर्ट के अनुसार यह ट्रायल 237 मरीज़ों पर किया गया. इन मरीज़ों में से 158 को रेमडेसिवयर दी गई और बाक़ी के 79 को प्लेसीबो. एक महीने बाद रेमडेसिवयर लेने वाले 13.9% मरीज़ों की मौत हो गई और प्लेसीबो लेने वाले 12.8% मरीज़ों की.''

कोरोना वायरस: ट्रंप की अजीब सलाह

कोरोना वायरस: ट्रंप की अजीब सलाह- रोगाणुनाशक का इंजेक्शन



अमरीका में कोरोना वायरस के कहर के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई सलाह को लेकर डॉक्टरों ने कड़ी आपत्ति जताई है.
डोनाल्ड ट्रंप ने सलाह दी है कि इस पर शोध होना चाहिए कि क्या रोगाणुनाशकों को शरीर में इंजेक्ट करने से कोरोना वायरस का इलाज हो सकता है.
अमरीका में कोरोना वायरस के कारण 50 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और क़रीब 9 लाख लोग संक्रमित हैं. सबसे ज़्यादा प्रभावित न्यूयॉर्क प्रांत है, जहाँ 20 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
प्रेस ब्रीफिंग के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप इतने पर ही नहीं रुके. उन्होंने ये भी प्रस्ताव दे डाला कि अल्ट्रावॉयलेट लाइट से मरीज़ों के शरीर को इरेडिएट (वैसी चिकित्सा पद्धति जिसमें विकिरण का इस्तेमाल होता है) किया जा सकता है.
हालांकि उसी प्रेस ब्रीफ़िंग में डॉक्टरों ने इसे ख़ारिज कर दिया.


चीन जिस रिपोर्ट को रोकना चाहता था वो हुई जारी

चीन जिस रिपोर्ट को रोकना चाहता था वो हुई जारी- रॉयटर्स

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार चीन चाहता था कि यूरोपीय यूनियन की एक रिपोर्ट को रोका जाए. इस रिपोर्ट में चीन पर कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने को लेकर ग़लत सूचना देने का आरोप है.
रॉयटर्स के अनुसार चीन चाहता था कि इस रिपोर्ट को ब्लॉक किया जाए. रॉयर्टस ने चार स्रोतों और राजनयिक पत्राचारों की समीक्षा के बाद यह ख़बर दी है. आख़िरकार यह रिपोर्ट जारी हो गई. इस रिपोर्ट पर ईयू में चीनी मिशन की तरफ़ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
चीन के विदेश मंत्रालय ने भी अब तक कुछ नहीं कहा है. रॉयटर्स से ईयू की एक प्रवक्ता ने कहा, ''हम ऐसे मामलों पर कोई टिप्पणी नहीं करते हैं. यह हमारे पार्टनर्स और दूसरे देशों के बीच का संवाद है.'' ईयू के एक और अधिकारी ने रॉयटर्स से कहा कि यह रिपोर्ट जारी हो गई है और जैसी थी वैसी ही जारी हुई है.
रॉयटर्स से अनुसार पहले यह रिपोर्ट 21 अप्रैल को ही जारी होनी थी लेकिन चीनी अधिकारियों के पता चल जाने के कारण देरी हुई. रॉयटर्स के अनुसार, ''चीन के एक सीनियर अधिकारी ने चीन में ईयू के अधिकारियों से संपर्क साधा था और कहा था कि अगर रिपोर्ट उसी रूप में आज ही जारी होती है तो यह हमारे सहयोग के लिए बहुत ही बुरा होगा.''
रॉयटर्स ने चीनी विदेश मंत्रालय के अधिकारी यांग शिआगुआंग की एक टिप्पणी को कोट किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि रिपोर्ट प्रकाशित होगी तो यह चीन को नाराज़ करने वाला क़दम होगा.'' रॉर्यटर्स का कहना है कि इसी को लेकर रिपोर्ट जारी होने में देरी हुई. इस रिपोर्ट में चीन पर ग़लत सूचना देने और बाद में अपनी अंतर्राष्ट्रीय छवि सुधारने के लिए कई तरह के क़दम उठाने के आरोप लगाए गए हैं.


ऑनलाइन एडुकेशन में क्वालिटी कंटेट उपलब्ध

ऑनलाइन एडुकेशन में क्वालिटी कंटेट उपलब्ध करवाने के लिए HRD ने शुरू की विद्यादान 2 

कोरोना वायरस (Coronavirus) यानी कोविड 19 (Covid 19) की वजह से देशभर ऑनलाइन क्लासेज कर रहे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण डिजिटल पाठ्य सामग्री उपलब्ध करवाने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बुधवार को विद्यादान 2 की शुरुआत की।

 

नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) यानी कोविड 19 (Covid 19) की वजह से देशभर ऑनलाइन क्लासेज कर रहे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण डिजिटल पाठ्य सामग्री उपलब्ध करवाने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बुधवार को विद्यादान 2 की शुरुआत की। इस मौके पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री श्री संजय धोत्रे भी मौजूद थे।
इस विद्यादान को राष्ट्रीय स्तर पर चलाया जाएगा, जिसके तहत विभिन्न शिक्षाविदों और संगठनों को पाठ्यक्रम के अनुसार ई-लर्निंग सामग्री विकसित करने और इसमें योगदान देने के लिए जोड़ा जायेगा। जो भी ई-लर्निंग सामग्री विकसित करने में अपना योगदान देना चाहते हैं वो व्याख्यात्मक वीडियो, एनीमेशन, पथ योजनाओं, मूल्यांकन और प्रश्न बैंक के रूप में अपना योगदान दर्ज करवा सकते हैं।
समस्त सामग्री की समीक्षा विशेषज्ञों द्वारा की जाएगी और उसके बाद उसको दीक्षा एप पर उपयोग के लिए जारी किया जायेगा जिससे देश भर के लाखों करोड़ों छात्रों को कहीं भी और कभी भी पढाई करने की सुविधा उपलब्ध होगी।
राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने अपने हिसाब से विद्यादान कार्यक्रम शुरू कर सकते हैं जिसमें वो व्यक्तियों, संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, एडटेक संगठनों, शिक्षकों आदि को इससे जोड़ कर इसमें पाठ्य सामग्री क्षेत्रीय भाषा और अपने अपने क्षेत्रों के सन्दर्भ में भी उपलब्ध करवा सकते हैं।
पाठ्य सामग्री योगदान उपकरण के माध्यम से विद्यदान पर उपलब्ध एक मानकीकृत टेमपलेट एक समान संरचना बनाने में भी मदद करेगा। इस पर उपलब्ध पाठ्य सामग्री सभी शिक्षा विभागों जैसे कि सरकारी विभाग, राज्य एवं केंद्रीय शिक्षा बोर्ड, सरकारी एवं निजी विद्यालय आदि के उपयोग के लिए उपलब्ध होगी। बहुत जल्द इसका लाभ उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों को भी पहुँचाया जायेगा।



अगस्ता वेस्टलैंड केस: क्रिश्चियन मिशेल को सुप्रीम कोर्ट से झटका

अगस्ता वेस्टलैंड केस: क्रिश्चियन मिशेल को सुप्रीम कोर्ट से झटका, जमानत याचिका खारिज

AgustaWestland Case: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अगस्‍तावेस्‍टलैंड (AgustaWestland) मामले में आरोपी क्रिश्‍चियन माइकल (Christian Michel) की अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। क्रिश्‍चियन माइकल (Christian Michel) ने खराब सेहत का हवाला देते हुए कोविड-19 महामारी के कारण जमानत की गुहार लगाई थी।

 

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अगस्‍तावेस्‍टलैंड (AgustaWestland) मामले में आरोपी क्रिश्‍चियन माइकल (Christian Michel) की अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। क्रिश्‍चियन माइकल (Christian Michel) ने खराब सेहत का हवाला देते हुए कोविड-19 महामारी के कारण जमानत की गुहार लगाई थी। याचिका में मिशेल ने कोरोना वायरस के बढ़ते ख़तरे को जमानत का आधार बनाया था।
मिशेल ने अपनी याचिका में कहा था, कि उसका स्वास्थ्य पहले से ही खराब है ऐसे में उसे कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा बढ़ गया है किसी दूसरे कैदी के मुकाबले। लिहाज़ा उसे जमानत दी जाए। याचिका में उसने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को भी आधार बनाया गया था, जिसमें जेलों से कैदियों को रिहा करने को कहा गया है। इससे पहले 6 अप्रैल को दिल्‍ली हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई की गई थी और मामले में कथित बिचौलिए मिशेल की अंतरिम जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
आपको बता दें कि मिशेल ने अपनी उम्र व स्‍वास्‍थ्‍य का हवाला देते हुए याचिका में जमानत की मांग की है। मिशेल के वकील अल्‍जो के जोसफ की ओर से लगाई गई याचिका में उनकी उम्र 59 वर्ष है और वे बीमार हैं। इसके कारण वे कोविड-19 महामारी के लिए अधिक संवेदनशील हैं। इसके तहत इन्‍हें भीड़-भाड़ वाले जेल में रखना उचित नहीं है और उन्‍हें जमानत दे दी जाए।
इस याचिका में क्रिश्चियन मिशेल ने कहा कि वह गिरफ्तारी के दिन से न्यायिक हिरासत में है. पूरी कार्यवाही के दौरान वह सम्मानजनक और विनम्रता से पेश हुआ है। मिशेल को पिछले साल दुबई से प्रत्यर्पित किया गया था। सीबीआई एक बिचौलिए के रूप में सौदे में उसकी कथित भूमिका की जांच कर रही है। वहीं ईडी मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रही है।
आपको बता दें कि मिशेल को पिछले साल दुबई से प्रत्यर्पित किया गया था और वर्तमान में वह हेलिकॉप्टर सौदे में कथित तौर पर की गई अनियमितताओं के मामले में तिहाड़ जेल में बंद हैं। जबकि सीबीआई एक ‘बिचौलिए’ के रूप में सौदे में उसकी कथित भूमिका की जांच कर रही है। वहीं प्रवर्तन निदेशालय उसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रहा है। वहीं, सीबीआई और ईडी कोर्ट से पहले ही जमानत नहीं देने की अपील कर चुका है। जांच एजेंसियों का कहना है कि आरोपियों के संबंध कई बड़े लोगों से ऐसे में जमानत पर आरोपी अगर बाहर आता है तो केस प्रभावित हो सकता है। गौरतलब है कि 3,600 करोड़ रुपये के अगस्ता-वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर सौदा मामले में हाल में रितुल पुरी को जमानत मिल चुकी है।


Corona Kit: चीन दुनिया को दिया धोखा

Corona Kit: चीन दुनिया को दिया धोखा, वजह जानकर उड़ जायेंगे होश!

कहा तो ये भी जा रहा है कि चीन भारत को और पहले ही किट देने का वादा किया था लेकिन वह किट अमेरिका भेज दिए गए। तो क्या चीन ने भारत को धोखा दिया है। राजस्थान के स्वास्थ मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि इस किट से कोरोना से पॉजिटिव लोगों के टेस्ट भी निगेटिव आ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि चीन ने केवल खराब किट ही भेजे हों कोरोना से जंग के चीन से आई पीपीई किट में खराबी निकली थी।

 


नई दिल्ली। अभी तक कोरोना वायरस फैलाने के आरोप झेल रहे चीन पर अब घटिया किस्म की रैपिड टेस्ट किट भेजने के आरोप लगने लगे हैं। कोरोना फैलाने पर तो चीन ने कहा कि अमेरिकी, ब्रिटेन और फ्रांस बिना किसी सुबूत के आरोप लगा रहे हैं। लेकिन घटिया कोरोना किट भेजे जाने पर सवाल पर चीन को सांप सूंघ गया है। इटली से लेकर पाकिस्तान तक चीन ने जहां भी किट और पीपीई किट भेजे हैं सब बेहद घटिया और इस्तेमाल करने पर जोखिम भरे हो सकते हैं। कुछ देशों ने आपत्ति जताई है लेकिन पाकिस्तान जैसे देश चुप होकर बैठ गये हैं। भारत ने चीन से आई रैपिड टेस्ट किट में गड़बड़ी पाये जाने पर उनका इस्तेमाल रोक दिया है। इसके अलावा भारत सरकार ने इस मुद्दे को चीन की सरकार के साथ भी उठाया है।
कोरोना को मात देने के लिए भारत ने रैपिड टेस्ट किट चीन से मंगवाए लेकिन उस किट के गुणवत्ता पर बड़े सवाल उठे हैं। स्थिति ये है कि राजस्थान ने तो रैपिड किट से जांच तक को रोक दिया। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने भी अगले दो दिनों तक सभी राज्यों को इस किट से जांच रोकने को कहा है। ऐसे में चीन से आए इन किटों पर कई सवाल उठ रहे हैं। क्या चीन ने जानबूझकर भारत को खराब किट भेजे। कहा तो ये भी जा रहा है कि चीन भारत को और पहले ही किट देने का वादा किया था लेकिन वह किट अमेरिका भेज दिए गए। तो क्या चीन ने भारत को धोखा दिया है। राजस्थान के स्वास्थ मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि इस किट से कोरोना से पॉजिटिव लोगों के टेस्ट भी निगेटिव आ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि चीन ने केवल खराब किट ही भेजे हों कोरोना से जंग के चीन से आई पीपीई किट में खराबी निकली थी। चीन पर सवाल उठे कि उसने भारत को खराब पीपीई किट भेजे। ऐसे में रैपिड टेस्टिंग किट पर कई सवाल उठ रहे हैं।
पहला सवाल है कि क्या चीन ने जानबूझकर भारत को खराब किट भेजी है। चीन ने अपने प्रांत हुबेई में कोरोना से निपटने के बाद पूरी दुनिया को रैपिड टेस्टिंग किट भेज रहा है। भारत ने भी चीन से ये किट मंगवाए। लेकिन यहां किट से मिलने वाले नतीजे गलत निकल रहे हैं। दुनिया के कई अन्य देशों में चीन ने रैपिड टेस्टिंग किट भेजा है लेकिन भारत में जिस तरीके से इस किट के नतीजे गड़बड़ आ रहे हैं ऐसे में चीन पर यह सवाल उठ रहा है क्या उसने जानबूझकर खराब किट भेजी है? हालांकि चीन की तरफ से अभी इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
एक सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या चीन कोरोना के खिलाफ भारत के मोर्चे को कमजोर करना चाहता है? भारत में दुनिया के अन्य देशों की तुलना में कोरोना के केस कम हैं। भारत ने दुनिया की अन्य देशों की तुलना में बहुत पहले लॉकडाउन को लागू कर दिया था। अभी भी 3 मई तक देश में लॉकडाउन लागू हैं। तो ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या चीन कोरोना के खिलाफ भारत की लड़ाई को कमजोर करना चाहता है।


Corona Coverage: मीडिया के लिए

Corona Coverage: मीडिया के लिए अलग से कर्फ्यू पास का एनबीए ने किया विरोध, सीएम योगी को लिखी चिट्ठी

एनबीए के अध्यक्ष रजत शर्मा ने अपनी चिट्ठी में कहा कि दिल्ली-नोएडा का जो बॉर्डर सील किया गया है, उससे मीडियाकर्मियों को काम करने में परेशानी होगी, क्योंकि इसके लिए कर्फ्यू पास की आवश्यकता अनिवार्य है। बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी और रिपोर्टर को एक जगह से दूसरी जगह जाना होता है। क्योंकि हर बार लोकेशन पहले से तय नहीं होता है, ऐसे में कर्फ्यू पास लेने के समय इसकी जानकारी देना हमारे लिए बेहद मुश्किल है।
 

नई दिल्ली। कोरोना करवेज के लिए मीडिया के आईडेंटिटी कार्ड्स के बजाए अलग से कर्फ्यू पास जारी किये जाने के नोएडा प्रशासन के फैसले के खिलाफ न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखी है। एनबीए ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि मीडियाकर्मियों को चैनल की तरफ से जारी किए फोटो आइडेंटिटी कार्ड के आधार पर दिल्ली नोएडा बॉर्डर पर आने-जाने की सुविधा दी जाये।
एनबीए के अध्यक्ष रजत शर्मा ने अपनी चिट्ठी में कहा कि दिल्ली-नोएडा का जो बॉर्डर सील किया गया है, उससे मीडियाकर्मियों को काम करने में परेशानी होगी, क्योंकि इसके लिए कर्फ्यू पास की आवश्यकता अनिवार्य है। बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी और रिपोर्टर को एक जगह से दूसरी जगह जाना होता है। क्योंकि हर बार लोकेशन पहले से तय नहीं होता है, ऐसे में कर्फ्यू पास लेने के समय इसकी जानकारी देना हमारे लिए बेहद मुश्किल है।
इसके साथ ही कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट उपलब्ध नहीं है, इसलिए हमें अपने ज्यादातर स्टाफ को पिक-अप और ड्रॉप की सुविधा मुहैया करा रहे हैं। इसके लिए कंपनी और कॉन्ट्रैक्ट पर उपलब्ध गाड़ियों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसकी संख्या सीमित है। जितना ज्यादा हो सके हम अपने कर्मचारियों को इसकी सुविधा मुहैया करा रहे हैं और इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है।
ट्रांसपोर्ट के लिए जिन गाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है उसमें एसयूवी और सेडान जैसी गाड़ियां शामिल हैं। आठ सीटों वाली एसयूवी में ड्राइवर को मिलाकर छह कर्मचारियों और छह सीटर वाली गाड़ियों में ड्राइवर को मिलाकर चार कर्मचारी होते हैं।
इस परिस्थिति में मीडियाकर्मियों के लिए स्पेशल कर्फ्यू पास और दूसरे प्रतिबंध लॉकडाउन के दौरान न्यूज़ चैनलों के कामकाम जो प्रभावित करेंगे। यह बड़े जनहित को बहुत नुकसान पहुंचाएगा और महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए जरूरी माध्यम से जनता को वंचित करेगा, जिसमें जीवन रक्षक जानकारी भी शामिल हैं।
इसलिए आपसे अनुरोध है कि समाचार चैनलों की तरफ से जारी किए गए फोटो आइडेंटिटी कार्ड के आधार पर दिल्ली नोएडा बॉर्डर और प्रोफेशनल काम के लिए यात्रा करने की अनुमति दें।


कोरोना संकटः राज्यों को आर्थिक मोर्चे पर उबारने के लिए कैप्टन ने पीएम मोदी को भेजे खास सुझाव

कोरोना संकटः राज्यों को आर्थिक मोर्चे पर उबारने के लिए कैप्टन ने पीएम मोदी को भेजे खास सुझाव

 

चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार से कहा था कि कोरोना वायरस बहुत बड़ा संकट था और उससे निपटने के लिए टोटल लॉक डाउन भी जरूरी था, लेकिन अब सबसे जरूरी राज्यों को वित्तीय संकट से उबारना है। क्योंकि लॉक डाउन के कारण सारी व्यावसायिक और औद्योगिक गतिविधियां ठप हो गयी हैं। सरकारी खर्चों की पूर्ति के लिए राज्यों को बेल आउट पैकेज की आवश्यकता है। कैप्टन ने राज्यों को आर्थिक संकट से उबारने के लिए त्रिआयामी रणनीति का सुझाव भी पेश किया है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खत भी लिखा जिसमें उन्होंने पूरी रणनीति का खुलासा किया है। उन्होंने लिखा है कि 15वें वित्त आयोग के पिछले साल के अनुमानों, जिसमें घरेलू विकास दर में सात प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया था, के मुकाबले राज्यों को इस बार बहुत कम राजस्व मिलने की हालत में 2020-21 के लिए इसकी अंतरिम रिपोर्ट की फिर समीक्षा की जाये। घरेलू विकास दर में शून्य विकास का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ विश्लेषक नकारात्मक विकास की बात कर रहे हैं।
कैप्टन ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वह 15वें वित्त आयोग को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपने का समय अक्तूबर 2021 तक टालने की हिदायत दें, ताकि राज्य अगले पांच सालों में अर्थव्यवस्था के संभावित विकास का सही मूल्यांकन करने के योग्य हो जाएं। मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में राज्यों को स्वास्थ्य से जुड़े अतिरिक्त खर्चों और मूलभूत राहत खर्चों से निपटने में सहायता प्रदान करने के लिए तुरंत तीन महीने का विशेष वित्तीय सहायता पैकेज देने की मांग की। उन्होंने सुझाव दिया कि राज्यों को जरूरत के अनुसार स्थानीय समस्याओं और जरूरतों के लिए इसका प्रयोग करने की छूट दी जानी चाहिए। प्रस्ताव के अनुसार तीन महीने के पैकेज को विशेष कोविड-19 राजस्व अनुदान के विरुद्ध एडजस्ट किया जा सकता है।
कैप्टन ने सुझाव दिया कि वित्त आयोग 2020-21 के लिए एक और अंतरिम रिपोर्ट बना सकता है। हालांकि 3 मई 2020 तक 40 दिनों का लॉकडाउन कोविड -19 के फैलाव को रोकने के लिए जरूरी था, परन्तु इसके नतीजे के तौर पर बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। सभी राज्य इस समय बहुत गंभीर वित्तीय मुश्किलों में से गुजर रहे हैं।
कैप्टन अमरिंदर ने कहा है कि पंजाब के खजाने पर बड़ा बोझ पड़ रहा है। व्यापार, कारोबार और उद्योगों के करीब-करीब बंद होने से राजस्व कम हो गया है और इस समय अत्यधिक जरूरी स्वास्थ्य एवं राहत कार्यों के खर्चों के लिए बड़े स्तर पर फंड की जरूरत है। कैप्टन ने आगे कहा कि 15वें वित्त आयोग को साल 2020-21 के लिए विशेष कोविड-19 राजस्व अनुदान की सिफारिश करने की विनती की जाए। तीन आयामी रणनीति के तीसरे स्तंभ के तौर पर उन्होंने राजस्व की कमी को पूरा करने के लिए घाटे को बढ़ाने का प्रस्ताव भी दिया, जैसे अन्य देशों द्वारा किया जा रहा था।

 

World War: ट्रंप के इस आदेश

World War: ट्रंप के इस आदेश के बाद फिर से बन रहे हैं तीसरे विश्वयुद्ध के आसार

अमेरिकी नौसैनिकों को घेरने वाले ईरानी जहाज वहां की रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प के थे। अमेरिका ने इस संगठन को आतंकी संगठन घोषित कर रखा है। इसके बाद दोनों देशों के बीच चला आ रहा तनाव और बढ़ गया था। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के अनुसार ईरानी जहाजों ने यह हरकत तब की जब अमेरिकी पोत अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा में थे।

 


वाशिंगटन। कोरोना संकट के साथ ही दुनिया पर एक नये युद्ध के संकट के बादल फिर से मंडराने लगे हैं। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपनी नैवी को आदेश दिया है कि यदि ईरानी जहाज उनके कार्य में बाधा डालते हैं या परेशान करते हैं तो उन्हें मार गिराया जाये। ट्रंप के इस तरह के आदेशों पर ईरान की प्रतिक्रिया अभी नहीं मिल पायी है लेकिन यह माना जा रहा है कि इस आदेश से एक बार फिर स्थिति काफी गंभीर होने सकती है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नेवी को निर्देश दिया है कि अगर ईरानी युद्धपोत हमारे जहाज को परेशान करते हैं तो उन्हें शूट कर दिया जाए। ट्रंप ने यह आदेश ऐसे वक्त में दिया है जब करीब एक सप्ताह पहले फारस की खाड़ी में अमेरिका के युद्धपोत को 11 लड़ाकू जहाजों द्वारा घेरने की खबर सामने आई थी। अमेरिकी नौसेना ने इसे खतरनाक और भड़काने वाला करार दिया था।
ट्रंप ने ट्वीट किया, ‘मैंने अमेरिकी नेवी को निर्देश दिया है कि अगर समुद्र में हमारे जहाजों को परेशान किया जाता है तो किसी भी और सभी ईरानी गनबोट को शूट कर नष्ट कर दें।
एक समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी नौसैनिकों को घेरने वाले ईरानी जहाज वहां की रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प के थे। अमेरिका ने इस संगठन को आतंकी संगठन घोषित कर रखा है। इसके बाद दोनों देशों के बीच चला आ रहा तनाव और बढ़ गया था। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के अनुसार ईरानी जहाजों ने यह हरकत तब की जब अमेरिकी पोत अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा में थे। ये अमेरिकी जहाज सैन्य हेलिकॉप्टरों के साथ मिलकर अभ्यास कर रहे थे। एक स्थान पर तो ईरानी जहाज अमेरिकी तटरक्षक बल के जहाज के महज 10 गज करीब तक पहुंच गया।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने 2015 में ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से अलग होकर उसपर और प्रतिबंध लगा दिए थे। इतना काफी नहीं था कि अमेरिकी सैनिकों के हमले में ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी की जिसके बाद दोनों देश युद्ध के मुहाने पर पहुंच गए। ईरान ने बदले की कार्रवाई करते हुए इराक में अमेरिकी दूतावासों और सैन्य अड्डों को निशाना बनाकर कई बार रॉकेट दागा है। पिछले महीने ही ट्रंप ने दावा किया था कि ईरान हमले की बड़ी प्लानिंग कर रहा है लेकिन अगर वह ऐसा करता है तो बुरे परिणाम भुगतने होंगे।
ट्रंप का बयान ऐसे समय में आया जब संयोगवश ईरान ने अपने पहले मिलिटरी सैटलाइट को आज सफलतापूर्वक लॉन्च कर लिया। अमेरिका ने आरोप लगाया है कि वह अपने मिसाइल प्रोगाम को कवर करने के लिए इसे लॉन्च किया है। रिवॉल्यूशनरी गार्ड ने बुधवार को अपने आधिकारिक वेबसाइट पर लिखा, ‘ईरान का पहला सैटलाइट सफलतापूर्वक कक्षा में प्रवेश कर गया है।’

बालाकोट के बाद लश्कर-ए-तैयबा का दूसरा बेस भी तबाह

बालाकोट के बाद लश्कर-ए-तैयबा का दूसरा बेस भी तबाह, काल बनकर आतंकियों पर टूटे सुरक्षाबल, देखें यहां पूरी जानकारी

ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद करीम नियाजी ने कहा, 'हमारे सुरक्षाबल इन आतंकियों के अड्डों का सफाया करने में सक्षम हैं। हमने दर्जनों छोटे और भारी हथियार जब्त किए हैं।' वहीं, अफगान बॉर्डर फोर्स के कमांडर मोहम्मद अयूब हुसैनखैल ने बताया, 'यहां जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ है। उनके पास उन्नत हथियार हैं। ये सेंटर अब पूरी तरह से साफ कर दिए गए हैं।




नई दिल्ली। पिछले साल 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला करने वाले आतंकी गिरोह लश्कर-ए-तैयबा के बालाकोट वाले अड्डे को भारतीय वायु सेना ने 12 दिन बाद ही नेस्तनाबूद कर दिया था। पुलवामा में हमला करने वाले आतंकियों ने इसी अड्डे पर ट्रेनिंग ली थी। पाकिस्तानी फौज और आईएसआई ने मुंह की खाने के बाद लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों को अफगानिस्तान के नांगरहर में शिफ्ट कर दिया था। पाकिस्तानी फौज लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों को अफगानिस्तान में ठीक उसी तरह इस्तेमाल करती है जैसे वो भारत के कश्मीर में करती है। उसी लश्कर-ए-तैयबा के नांगरहर वाले बेस में बैठे आतंकियों पर अफगानी सुरक्षाबल काल बनकर टूटे और उन्होंने पाकिस्तान समर्थित आतंकियों के अड्डे को ध्वस्त कर दिया।
इस तरह पूर्वी और पश्चिमी दोनों मोर्चों पर आतंक फैलाने वाले इस आतंकी गिरोह की रीढ़ अफगानी सुरक्षाबलों ने तोड़ दी है। इस गिरोह का सरगना मौलाना मसूद अजहर है। मसूद अजहर बालाकोट पर भारतीय वायु सेना के हमले से पहले ही पाकिस्तानी आर्मी की कड़ी सुरक्षा में है। लगभग एक साल के भीतर लश्कर-ए-तैयबा के दो बड़े ठिकाने ध्वस्त हो जाने से आईएसआई बुरी तरह बौखलाई हुई है। भारतीय खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि आईएसआई और पाकिस्तानी फौज अब कश्मीर में  बौखलाहट निकालने की कोशिश कर सकती है।
अफगानिस्तान के सैनिकों ने पूर्वी प्रांत नांगरहार में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकाने को नष्ट कर दिया है। सेना के मुताबिक नांगरहार प्रांत के घोरकई इलाके में जैश के आतंकी 15 सालों से सक्रिय हैं। बताया जा रहा है कि इस दौरान ग्रुप का पाकिस्तानी सदस्य अरेस्ट किया गया है और बड़ी मात्रा में हथियार जब्त किए गए हैं।

ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद करीम नियाजी ने कहा, ‘हमारे सुरक्षाबल इन आतंकियों के अड्डों का सफाया करने में सक्षम हैं। हमने दर्जनों छोटे और भारी हथियार जब्त किए हैं।’ वहीं, अफगान बॉर्डर फोर्स के कमांडर मोहम्मद अयूब हुसैनखैल ने बताया, ‘यहां जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ है। उनके पास उन्नत हथियार हैं। ये सेंटर अब पूरी तरह से साफ कर दिए गए हैं।’
उल्लेखनीय है कि पिछले साल ही जैश सरगना मसूद अजहर को यूएन ने आतंकियों की सूची में डाल दिया था। 2001 में भारतीय संसद पर हमला, 2016 में पठानकोट एयरबेस अटैक और 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले में जैश का हाथ रहा है। 2019 में पुलवामा में अटैक के बाद भारतीय वायु सेना के फाइटर जेट्स ने पीओके और पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर बम गिरा कर उसे नष्ट कर दिया था। हाल ही में भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा के दूसरी तरफ पीओके में आतंकियों के लॉन्च पैड को तबाह कर दिया।
ऐसे में अफगानिस्तान में जैश के ठिकानों को नष्ट किया जाना भारत के लिए भी अच्छी खबर है। क्योंकि जैश के आतंकी अफगानिस्तान में भी भारत विरोधी अभियानों में संलिप्त पाए गए हैं। वहीं, अफगानिस्तान ने डुरंड लाइन से लगती हुए घोरकई इलाके को बंद कर दिया है जो कि तालीबान का सप्लाई रूट है।


ईपीएफओ ने 15 दिनों में 10 लाख खाताधारकों को 3600 करोड़ रुपये का किया भुगतान

ईपीएफओ ने 15 दिनों में 10 लाख खाताधारकों को 3600 करोड़ रुपये का किया भुगतान

EPFO: कोरोना वायरस (Coronavirus) यानी कोविड 19 (Covid 19) महामारी के बढ़ते संक्रमण के बीच लोगों के पैसों की जरूरत को देखते हुए महज 15 दिनों में ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organisation) ने 10.02 लाख ईपीएफ खाताधारकों के क्लेम को सेटल कर दिया है।

 

मनीष कुमार, नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) यानी कोविड 19 (Covid 19) महामारी के बढ़ते संक्रमण के बीच लोगों के पैसों की जरूरत को देखते हुए महज 15 दिनों में ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organisation) ने 10.02 लाख ईपीएफ खाताधारकों के क्लेम को सेटल कर दिया है, जिसमें 6.06 लाख से अधिक वैसे क्लेम हैं जो KOVID19 के मद्देनजर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत सेटल किये गए हैं।
ईपीएफओ ने बीते 15 दिनों में ईपीएफ खाताधारकों को 3600 करोड़ रुपये का भुगतान किया है जिसमें 1954 करोड़ रुपये का भुगतान KOVID19 क्लेम के तहत किया गया है। लॉकडाउन के चलते ईपीएफओ केवल एक तिहाई कर्मचारियों के साथ कार्य कर रहा है फिर भी ईपीएफओ ने 90 फीसदी KOVID19 क्लेम को महज 3 दिनों में सेटल कर दिया है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 26 मार्च को कोरोना वायरस के चलते घोषित लॉकडाउन के दौरान गरीबों की मदद के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का एलान किया था। जिसमें ये भी प्रावधान किया गया था कि अगर कोई कर्मचारी इस इमरजेंसी में अपने ईपीएफ खाते में जमा गाढ़ी कमाई से कुछ रकम निकालना चाहता है तो वो KOVID19 प्रोविजन के तहत निकाल सकता है। इस प्रावधान के तहत कोई भी ईपीएफ खाताधारक अपने खाते से 3 महीने का बेसिक वेतन और डीए के बराबर या फिर ईपीएफ खाते में जमा 75 फीसदी रकम निकाल सकता है। और ये नॉन रिफंडेबल है।
जाहिर है एक तरफ जब कई कंपनियां लॉकडाउन के चलते खराब वित्तिय हालत का हवाला देकर वेतन में कटौती कर रही या फिर भुगतान नहीं कर रही। ऐसे में संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए सरकार का ये फैसला बड़ी राहत लेकर आया है।

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कोरोना पर केंद्र के साथ ममता बनर्जी की ठनी,

कोरोना पर केंद्र के साथ ममता बनर्जी की ठनी, केंद्रीय टीम भेजने का किया विरोध

कोरोना वायरस (Coronavirus) यानी कोविड 19 (Covid 19) को लेकर केंद्र के साथ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ठनी गई है। राज्य में केंद्र की टीम को भेजे जाने का विरोध जताते हुए ममता बनर्जी ने विरोध जताते हुए ये पूछा है कि आखिर किस आधार पर टीम भेजी जा रही है? उन्होंने इस सिलसिले में पीएम मोदी को लेटर भी लिखा है।

 


नई दिल्ली: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (Coronavirus) यानी कोविड 19 (Covid 19) को लेकर केंद्र के साथ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ठनी गई है। राज्य में केंद्र की टीम को भेजे जाने का विरोध जताते हुए ममता बनर्जी ने विरोध जताते हुए ये पूछा है कि आखिर किस आधार पर टीम भेजी जा रही है? उन्होंने इस सिलसिले में पीएम मोदी को लेटर भी लिखा है।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल समेत कुछ राज्यों में इंटर मिनिस्ट्रीयल सेंट्रल टीम यानि IMCT भेजने का फैसला लिया है। ये टीम राज्यों में कोरोना के जमीनी हालात और लॉकडाउन उल्लंघन की शिकायतों पर अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजेगी। इसको लेकर ममता बनर्जी ने पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री से इसका आधार बताने की अपील करते हुए कहा है कि केंद्र टीम भेजने का जबतक आधार नहीं बताता है वो तबतक इस दिशा में आगे कोई कदम नहीं बढ़ा पाएंगी।

दरअसल केंद्र ने देश के 11 जिलों में इंटर मिनिस्ट्रियल सेंट्रल टीम यानि IMCT भेजने का फैसला लिया है। जिसमें पश्चिम बंगाल के 7 जिले शामिल हैं। केंद्र ने राजस्थान में जयपुर, मध्य प्रदेश में इंदौर, महाराष्ट्र में मुंबई और पुणे, जबकि पश्चिम बंगाल में कोलकाता, हावड़ा, नॉर्थ 24 परगना, मेदिनीपुर ईस्ट, जलपाईगुड़ी, दार्जलिंग और कैलिमपोंग में हालात ठीक नहीं बताते हुए वहां IMCT भेजने का फैसला किया है। और इसी को लेकर ममता बनर्जी ने इन जिलों को चुनने का आधार पूछा है।

आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल के जिन जिलों में IMCT भेजना तय किया है, वहां कोरोना के मामलों की क्या स्थिति है। कोलकाता में 105 कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले हैं। जबकि हावड़ा में 62, नॉर्थ 24 परगना में 37 पॉजिटिव केस मिले हैं। तो मेदिनीपुर ईस्ट में 18 पॉजिटिव केस में 13 ठीक हो चुके हैं और अभी 5 का इलाज चल रहा है। जलपाईगुड़ी में कोरोना के 5 पॉजिटिव मामले सामने आये हैं। तो दार्जिलिंग में 3 मरीज मिले हैं। वहीं कैलिमपोंग में कुल 11 मरीज मिले हैं। जिनमें से एक महिला की मौत हो गई। जबकि 4 ठीक हो चुके हैं और 6 का इलाज चल रहा है।

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Coronavirus: कोरोना से 1 लाख 70 हजार से ज्‍यादा मौत

Coronavirus: कोरोना से 1 लाख 70 हजार से ज्‍यादा मौत, देखें दुनिया में कहा-कितने केस

दुनियाभर में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 170,000 के पार पहुंच गई है। यूनिवसिर्टी के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) द्वारा आंकड़ों से पता चला है कि कुल 171,333लोगों की बीमारी से मौत हो चुकी है, जबकि कोरोनो वायरस के मामलों की वैश्विक संख्या 2,498,480हो गई है।


ई दिल्‍ली: दुनियाभर में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 170,000 के पार पहुंच गई है। यूनिवसिर्टी के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) द्वारा आंकड़ों से पता चला है कि कुल 171,333लोगों की बीमारी से मौत हो चुकी है, जबकि कोरोनो वायरस के मामलों की वैश्विक संख्या 2,498,480हो गई है। हालांकि अच्‍छी खबर यह भी है कि इस महामारी से 657,832 लोग ठीक हो चुके हैं।
42,518 मौतों और 792,938 मामलों के साथ अमेरिका कोरोना वायरस से सबसे अधिक मौत और संक्रमण के मामले हैं। 20,000 से अधिक मौतों वाले अन्य देश इटली (24,114), स्पेन (21,282) और फ्रांस (20,265) हैं।
इटली में सोमवार को पहली बार कोविड-19 के कुल सक्रिय मामलों में गिरावट दर्ज की गई। कोरोना के 204,178 मामलों के साथ स्पेन दुनिया में दूसरे स्थान पर है, जबकि इटली 181,228 के साथ तीसरे स्थान पर है।









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अब जीत जाएंगे कोरोना से जंग

अब जीत जाएंगे कोरोना से जंग, अमेरिका ने ढूंढ निकाला वायरस का तोड़!

दुनिया भर के वैज्ञानिक कोरोना वायरस का इलाज ढूंढने में लगे हैं, इसी बीच शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि क्लिनिकल ट्रायल के दौरान कोविड-19 के मरीजों पर रेमडेसिवीर का काफी अच्छा असर हो रहा है और उसके परिणाम अच्छे हैं।
 


नई दिल्‍ली: दुनिया के ज्‍यादातर देश इस समय कोरोना के संकट से जूझ रहे हैं। विश्‍व के सबसे शक्‍तिशाली देश अमेरिका में कोरोना ने सबसे ज्‍यादा कहर मचाया हुआ है। यहां पर इस बीमारी से संक्रमित लोगों की तादाद 8 लाख के करीब पहुंच गई है, जबकि इससे मरने वालों की संख्‍या भी 40 हजार के पार हो गई है। हालांकि अब अमेरिका ने कोरोना का तोड़ ढूंढ निकाला है।
दुनिया भर के वैज्ञानिक कोरोना वायरस का इलाज ढूंढने में लगे हैं, इसी बीच शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि क्लिनिकल ट्रायल के दौरान कोविड-19 के मरीजों पर रेमडेसिवीर का काफी अच्छा असर हो रहा है और उसके परिणाम अच्छे हैं। लेकिन वैज्ञानिकों ने इस दवा के प्रभाव को जांचने के लिए अधिक ट्रायल करने की जरुरत बताई है।
अमेरिका के टेक्सास स्थित ह्यूस्टन मेथडिस्ट अस्पताल में कोरोना के शुरुआती दौर वाले मरीजों पर इस दवा का ट्रायल किया जाता है। जिसके बाद यह जानकारी मिली की दवा के शुरुआती परिणाम आशानजक हैं। इस दवा से को देने के बाद डॉक्‍टरों ने देखा कि यह कोरोना मरीजों की हालत को तेजी से बिगड़ने से रोकती है। इस साल की शुरुआत में ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, इबोला के इलाज के लिए विकसित रेमडेसिवीर, कई सारे वायरस के इलाज में इस्तेमाल किया जा सकता है।
चीन ने भी इस दवा को कोरोना से लड़ने के लिए कारागर बताया था। चीन ने कहा था कि रेमडेसिवीर सफलतापूर्वक कोरोना वायरस, सार्स-कोविड-2 को मनुष्य की कोशिकाओं में वृद्धि करने से रोक सकता है। इसके साथ ही ‘न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन’ में प्रकाशित एक अन्य रिसर्च के अनुसार कोरोना वायरस से संक्रमित एक व्यक्ति को रेमडेसिवीर दिया गया और उसकी हालत में 24 घंटे के भीतर सुधार होने लगा।
अस्पताल ने एक बयान में कहा कि कोविड-19 के साथ सबसे चुनौतीपूर्ण बात यह है कि वह मानव शरीर में प्रवेश करने के बाद जिस तरीके से अपनी संख्या में वृद्धि करता है। उसमें कहा गया है, इसी तरह कोविड-19 को अगर शुरुआती चरण में नहीं रोका गया तो वह व्यक्ति में श्वसन संबंधी परेशानी खड़ी कर सकता है और उसे वेंटिलेटर पर जाने को मजबूर कर सकता है। रेमडेसिवीर ने मानव कोशिका के भीतर कोरोना वायरस की वृद्धि को रोकने की क्षमता प्रदर्शित की है और अब मरीजों पर उसका क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है।

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केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की अपील

केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की अपील, रमजान के पवित्र महीने में घरों पर ही करें इबादत

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (Coronavirus) यानी कोविड 19 (Covid 19) के संक्रमण के कारण देश में लॉकडाउन 2.0 (Lockdown) जारी है। इन सबके बीच देश के सभी मुस्लिम धर्म गुरुओं, इमामों, धार्मिक-सामाजिक संगठनों एवं भारतीय मुस्लिम समाज ने संयुक्त रूप से 24 अप्रैल से शुरू हो रहे रमजान के पवित्र महीने में घरों पर ही रह कर इबादत, इफ्तार एवं अन्य धार्मिक कर्त्तव्यों को पूरा करने का निर्णय लिया है।



कुन्दन सिंह, नई दिल्ली: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (Coronavirus) यानी कोविड 19 (Covid 19) के संक्रमण के चेन को तोड़ने के लिए देश में लॉकडाउन 2.0 (Lockdown) जारी है। इन सबके बीच देश के सभी मुस्लिम धर्म गुरुओं, इमामों, धार्मिक-सामाजिक संगठनों एवं भारतीय मुस्लिम समाज ने संयुक्त रूप से 24 अप्रैल से शुरू हो रहे रमजान के पवित्र महीने में घरों पर ही रह कर इबादत, इफ्तार एवं अन्य धार्मिक कर्त्तव्यों को पूरा करने का निर्णय लिया है।
गौरतलब हैं कि कोरोना के हालात में आने वाले रमजान में लोग सोशल डिस्टेंसिन को अपनाने और घरों में रहे इसी के लिए केंद्रीय माइनॉरिटी अफेयर्स मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये हुई बैठक में तमाम राज्य वक्फ बोर्डों ने सहमति जताई थी की रमजान के पवित्र महीने के दौरान कोरोना के कहर के चलते लागू लॉकडाउन, सोशल डिस्टेंसिंग एवं अन्य दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करेंगे।
इसके अलावा मुख्तार अब्बास नकवी लगातार देश के विभिन्न मुस्लिम धर्म गुरुओं, धार्मिक-सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों से संपर्क-संवाद कर रहे हैं। ज्ञात हो कि देश के विभिन्न वक्फ बोर्डों के अंतरगर्त 7 लाख से ज्यादा पंजीकृत मस्जिदें, ईदगाह, दरगाह, इमामबाड़े एवं अन्य धार्मिक-सामाजिक स्थल हैं। सेंट्रल वक्क कौंसिल, राज्यों के वक्फ बोर्डों की रेगुलेटरी बॉडी (नियामक संस्था) है।
साथ की केंद्रीय मंत्री नकवी ने कहा कि कोरोना के कहर के कारण रमजान के पवित्र महीने में धार्मिक, सार्वजनिक, व्यक्तिगत स्थलों पर लॉकडाउन, कर्फ्यू, सोशल डिस्टेंसिंग का प्रभावी ढंग से पालन करने एवं लोगों को अपने-अपने घरों पर ही रह कर इबादत आदि के लिए जागरूक करने के लिए देश के 30 से ज्यादा राज्य वक्फ बोर्डों ने मुस्लिम धर्म गुरुओं, इमामों, धार्मिक-सामाजिक संगठनों, मुस्लिम समाज एवं स्थानीय प्रशासन के साथ मिल कर काम शुरू कर दिया है। पूरा देश एकजुट हो कर कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है।




 

Coronavirus: देशवासियों को राहत देने वाली हैं

Coronavirus: देशवासियों को राहत देने वाली हैं कोरोना को लेकर आई ये रिपोर्ट

देश में कोरोना के मरीजों के ठीक होने की संख्‍या में तेजी से इजाफा हो रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश में कोरोनावायरस रोगियों के ठीक होने की दर 17.48 फीसदी है और अभी तक कुल 3,548 रोगी ठीक हो चुके हैं।

 

नई दिल्‍ली: देश में कोरोना के मरीजों के ठीक होने की संख्‍या में तेजी से इजाफा हो रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश में कोरोनावायरस रोगियों के ठीक होने की दर 17.48 फीसदी है और अभी तक कुल 3,548 रोगी ठीक हो चुके हैं। मंत्रालय ने कहा कि 1.24 करोड़ कोरोनावायरस योद्धा और स्वयंसेवक इस घायक वायरस को हराने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में काम पर लगे हुए हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, अब तक देश में 19,162 पॉजिटिव मामले सामने हैं। वहीं अभी तक 3,548 लोग ठीक हो चुके हैं और कल (सोमवार) 705 लोगों को छुट्टी दे दी गई है। हमारा रिकवरी प्रतिशत (ठीक होने की दर) 17.48 फीसदी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश में अभी तक 609 लोगों ने संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया है, जबकि देश में फिलहाल कुल 15,005 सक्रिय मामले हैं। अगर कोरोना रोगियों के ठीक होने की दर पर गौर करें तो पता चलता है कि 15 अप्रैल को कुल 183 रोगी ठीक हुए, जबकि 16 अप्रैल को 260 और 17 अप्रैल को 243 रोगी ठीक हुए हैं।
इसके अलावा 18 अप्रैल को 239 रोगी ठीक हुए हैं, जबकि 19 अप्रैल को 316 और 20 अप्रैल को 705 रोगी संक्रमण से ठीक हुए हैं। एक ही दिन में सबसे अधिक रोगी 20 अप्रैल को ठीक हुए हैं, जो कि एक बेहतर संकेत माना जा सकता है।
देश में बढ़ रहे कोरोना के प्रकोप के बीच डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी जी-जान से मरीजों का इलाज कर रहे हैं। इन सभी कोरोना वॉरियर्स के लिए मास्टर डेटाबेस बनाया गया है। कोविड-19 पर गठित अधिकार प्राप्त समूह के चेयरमैन अरविंद पांडा ने बताया कि कोविड-19 से लड़ने में लगे हुए कोरोना योद्धाओं का विवरण 20 श्रेणियों और 49 उप-श्रेणियों में दिया गया है। ये जानकारी सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए उपलब्ध है।
वहीं भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक अधिकारी ने कहा कि कोविड-19 के लिए अब तक देश में कुल 4,49,810 परीक्षण किए गए हैं, जबकि सोमवार को 35,852 नमूनों का परीक्षण किया गया है।

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टैक्सपेयर्स की मनुहार भी फटकार भी

टैक्सपेयर्स की मनुहार भी फटकार भी, और क्या खास है सीबीडीटी के ईमेल में, जानें यहां

आयकर विभाग ने यह मेल स्टार्टअप, कंपनियों और व्यक्तियों समेत 1.72 लाख करदाताओं को भेजा है। मेल में इन करदाताओं पर बकाया कर मांग के साथ-साथ उन्हें कर रिफंड करने का दावा भी है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) 8 अप्रैल से करदाताओं को कोरोना महामारी की स्थिति में मदद के लिए तेजी से टैक्स रिफंड कर रहा है। उसने अब तक 14 लाख विभिन्न करदाताओं को 9,000 करोड़ रुपये का टैक्स रिफंड कर दिया है।

 


नई दिल्ली। कोरोना काल में राजस्व यानी इनकम टैक्स वसूली के लिए करदाताओं के नाम एक ईमेल जारी किया है। साथ ही यह भी कहा है कि इस मेल को किसी तरह का उत्पीड़न न माना जाये। मेल जारी करते हुए लिखा है यह पत्र सभी करदाताओं से उनके इनकम टैक्स रिफंड की जानकारी इकट्ठी करने के साथ ही यह पता लगाना है कि अभी कितने आयकरदाताओं ने अपना टैक्स निर्धारित तारीख तक नहीं भरा है। सीबीडीटी की ओर से भेजे गये ईमेल में कहा गया है कि आयकर विभाग आपसे टैक्स वसूली के साथ-साथ आपको आपक रिफंड देने के लिए प्रतिबद्ध है।
आयकर विभाग ने यह मेल स्टार्टअप, कंपनियों और व्यक्तियों समेत 1.72 लाख करदाताओं को भेजा है। मेल में इन करदाताओं पर बकाया कर मांग के साथ-साथ उन्हें कर रिफंड करने का दावा भी है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) 8 अप्रैल से करदाताओं को कोरोना महामारी की स्थिति में मदद के लिए तेजी से टैक्स रिफंड कर रहा है। उसने अब तक 14 लाख विभिन्न करदाताओं को 9,000 करोड़ रुपये का टैक्स रिफंड कर दिया है।
इन करदाताओं में व्यक्तिगत करदाता, हिंदू अविभाजित परिवार, कंपनियां, स्टार्टअप और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) शामिल हैं। सीबीडीटी ने एक बयान में कहा कि उसने ई-मेल भेजकर उन सभी से स्पष्टीकरण मांगा है, जिनका टैक्स रिफंड होना है पर उन पर बकाया कर मांग भी है।
कर विभाग ने यह भी कहा है कि इसे उत्पीड़न नहीं समझा जाना चहिए। बयान के अनुसार, ‘विभाग ने करदाताओं को एक अवसर दिया है। वे कर मांग का भुगतान कर सकते हैं या उक्त मांग की स्थिति के बारे में सूचना दे सकते हैं। समान रूप से सभी को इस प्रकार के ई-मेल या पत्र देने का मकसद करदाताओं को यह सूचना देता होता है कि उन पर कर बकाया है। साथ ही उन्हें अवसर दिया जाता है कि या तो वे कर मांग का भुगतान कर दें या फिर अगर उन्होंने पहले जमा कर दिया है तो उसका ब्योरा दें अथवा स्थिति स्पष्ट करें।’
सीबीडीटी ने कहा कि करदाताओं को लंबित मांग के बारे में जानकारी देनी है। उन्हें यह बताना है कि उसने संबंधित राशि का भुगतान कर दिया या अपीलीय/सक्षम प्राधिकरण ने उस पर रोक लगाई है ताकि विभाग उसे स्थगित कर दे और रिफंड राशि उसमें नहीं काटे। विभाग के अनुसार इसका उद्देश्य यह है कि इस मामले में वास्तविक स्थिति का पता लगाकर उचित कदम उठाया जा सके और बिना किसी देरी के स्टार्टअप समेत करदाताओं को रिफंड किया जा सके।

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गोवा के बाद मणिपुर हुआ कोरोना मुक्त

गोवा के बाद मणिपुर हुआ कोरोना मुक्त, सीएम बीरेन सिंह बोले- ग्रामीण इलाकों से हटाया जाएगा lockdown

पूरा देश कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में एकजुट है। इस लड़ाई में रविवार को गोवा से अच्छी खबर मिली थी। अब मणिपुर भी कोरोना के संक्रमण से मुक्त हो गया है। 

 Coronavirus- India TV

इम्फाल. पूरा देश कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में एकजुट है। इस लड़ाई में रविवार को गोवा से अच्छी खबर मिली थी। अब मणिपुर भी कोरोना के संक्रमण से मुक्त हो गया है। राज्य के सीएम N Biren Singh ने बताया कि मणिपुर अब कोरोना मुक्त हो चुका है। हमने ग्रामीण इलाके से कोरोना को लेकर लगाए गए lockdown में ढील देने का निर्णय लिया है लेकिन राजधानी इम्फाल में लॉकडाउन जारी रहेगा।

 उन्होंने बताया कि शहरी इलाकों में जरूरी वस्तुओं की दुकानें सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक खुलेंगी। आपको बता दें कि मणिपुर से अबतक कोरोना के दो मामले सामने आए हैं। ये दोनों ही मरीज इस बीमारी को मात देने में सफल रहे हैं।

राज्य कड़े कदम उठा सकते हैं

राज्य कड़े कदम उठा सकते हैं, लेकिन केंद्र के दिशानिर्देशों को कमजोर नहीं कर सकते: गृह मंत्रालय

गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि गृह सचिव अजय भल्ला ने राज्यों को नये सिरे से पत्र लिखा है क्योंकि कुछ राज्य अपने दिशानिर्देश जारी कर रहे हैं जो लॉकडाउन को कमजोर करने के समान हैं और इससे नागरिकों की सेहत को लेकर गंभीर परिणाम हो सकते हैं। 

 Coronavirus- India TV

 

नई दिल्ली. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि राज्य और केंद्रशासित प्रदेश कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए देशभर में लागू लॉकडाउन के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों में उल्लेखित कदमों से अधिक कड़ी कार्रवाई कर सकते हैं लेकिन उन्हें कमजोर या हल्का नहीं कर सकते।
गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि गृह सचिव अजय भल्ला ने राज्यों को नये सिरे से पत्र लिखा है क्योंकि कुछ राज्य अपने दिशानिर्देश जारी कर रहे हैं जो लॉकडाउन को कमजोर करने के समान हैं और इससे नागरिकों की सेहत को लेकर गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘गृह मंत्रालय देश में लॉकडाउन के हालात पर नियमित नजर रख रहा है। जहां भी लॉकडाउन का उल्लंघन किया जा रहा है हम राज्य सरकारों के साथ तालमेल करते हुए उचित कार्रवाई कर रहे हैं।’’
श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘कल गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को फिर से पत्र लिखा कि आपदा प्रबंधन कानून के तहत उसके द्वारा जारी दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करना है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘राज्य अपनी स्थानीय स्थितियों के अनुसार और कड़े कदम उठा सकते हैं लेकिन उन्हें कमजोर या हल्का नहीं कर सकते।’’
अधिकारी ने कहा कि यह पत्र लिखना अहम हो गया था क्योंकि कुछ राज्यों में ऐसी सुविधाओं की अनुमति दी जा रही है जिनकी गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों के तहत इजाजत नहीं है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने केरल सरकार को भी पत्र लिखा है और उसके द्वारा जारी निर्देशों को लेकर चिंता प्रकट की है।
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने रविवार को केरल के मुख्य सचिव टॉम जोस को भेजे पत्र में लॉकडाउन के कार्यान्वयन के लिए जारी समेकित संशोधित दिशानिर्देशों की ओर उनका ध्यान आकृष्ट किया। भल्ला ने हाल ही में उच्चतम न्यायालय की एक टिप्पणी को भी रेखांकित किया कि सभी संबंधित राज्य सरकारें, सार्वजनिक प्राधिकरण और इस देश के नागरिक - केंद्र द्वारा सार्वजनिक सुरक्षा के हित में जारी निर्देशों और आदेशों का पूरी तरह से पालन करेंगे।
श्रीवास्तव ने कहा कि केरल के आदेश में ऐसी कुछ चीजों का उल्लेख है जो आपदा प्रबंधन कानून के तहत जारी गृह मंत्रालय के निर्देशों का उल्लंघन करती हैं और लॉकडाउन को कमजोर करने के समान हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए अनुरोध किया गया है कि राष्ट्रीय दिशानिर्देशों का पालन होना चाहिए।