टैक्सपेयर्स की मनुहार भी फटकार भी

टैक्सपेयर्स की मनुहार भी फटकार भी, और क्या खास है सीबीडीटी के ईमेल में, जानें यहां

आयकर विभाग ने यह मेल स्टार्टअप, कंपनियों और व्यक्तियों समेत 1.72 लाख करदाताओं को भेजा है। मेल में इन करदाताओं पर बकाया कर मांग के साथ-साथ उन्हें कर रिफंड करने का दावा भी है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) 8 अप्रैल से करदाताओं को कोरोना महामारी की स्थिति में मदद के लिए तेजी से टैक्स रिफंड कर रहा है। उसने अब तक 14 लाख विभिन्न करदाताओं को 9,000 करोड़ रुपये का टैक्स रिफंड कर दिया है।

 


नई दिल्ली। कोरोना काल में राजस्व यानी इनकम टैक्स वसूली के लिए करदाताओं के नाम एक ईमेल जारी किया है। साथ ही यह भी कहा है कि इस मेल को किसी तरह का उत्पीड़न न माना जाये। मेल जारी करते हुए लिखा है यह पत्र सभी करदाताओं से उनके इनकम टैक्स रिफंड की जानकारी इकट्ठी करने के साथ ही यह पता लगाना है कि अभी कितने आयकरदाताओं ने अपना टैक्स निर्धारित तारीख तक नहीं भरा है। सीबीडीटी की ओर से भेजे गये ईमेल में कहा गया है कि आयकर विभाग आपसे टैक्स वसूली के साथ-साथ आपको आपक रिफंड देने के लिए प्रतिबद्ध है।
आयकर विभाग ने यह मेल स्टार्टअप, कंपनियों और व्यक्तियों समेत 1.72 लाख करदाताओं को भेजा है। मेल में इन करदाताओं पर बकाया कर मांग के साथ-साथ उन्हें कर रिफंड करने का दावा भी है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) 8 अप्रैल से करदाताओं को कोरोना महामारी की स्थिति में मदद के लिए तेजी से टैक्स रिफंड कर रहा है। उसने अब तक 14 लाख विभिन्न करदाताओं को 9,000 करोड़ रुपये का टैक्स रिफंड कर दिया है।
इन करदाताओं में व्यक्तिगत करदाता, हिंदू अविभाजित परिवार, कंपनियां, स्टार्टअप और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) शामिल हैं। सीबीडीटी ने एक बयान में कहा कि उसने ई-मेल भेजकर उन सभी से स्पष्टीकरण मांगा है, जिनका टैक्स रिफंड होना है पर उन पर बकाया कर मांग भी है।
कर विभाग ने यह भी कहा है कि इसे उत्पीड़न नहीं समझा जाना चहिए। बयान के अनुसार, ‘विभाग ने करदाताओं को एक अवसर दिया है। वे कर मांग का भुगतान कर सकते हैं या उक्त मांग की स्थिति के बारे में सूचना दे सकते हैं। समान रूप से सभी को इस प्रकार के ई-मेल या पत्र देने का मकसद करदाताओं को यह सूचना देता होता है कि उन पर कर बकाया है। साथ ही उन्हें अवसर दिया जाता है कि या तो वे कर मांग का भुगतान कर दें या फिर अगर उन्होंने पहले जमा कर दिया है तो उसका ब्योरा दें अथवा स्थिति स्पष्ट करें।’
सीबीडीटी ने कहा कि करदाताओं को लंबित मांग के बारे में जानकारी देनी है। उन्हें यह बताना है कि उसने संबंधित राशि का भुगतान कर दिया या अपीलीय/सक्षम प्राधिकरण ने उस पर रोक लगाई है ताकि विभाग उसे स्थगित कर दे और रिफंड राशि उसमें नहीं काटे। विभाग के अनुसार इसका उद्देश्य यह है कि इस मामले में वास्तविक स्थिति का पता लगाकर उचित कदम उठाया जा सके और बिना किसी देरी के स्टार्टअप समेत करदाताओं को रिफंड किया जा सके।

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