लो अब JNU में 'रामायण' का पाठ पढ़ाये जाने की तैयारी,

लो अब JNU में 'रामायण' का पाठ पढ़ाये जाने की तैयारी, वामपंथी-टुकड़े ब्रिगेट की नींद उड़ी।


ANI And Twitter रिपोर्ट के अनुसार-

दिल्‍ली:- भारत में लॉक डाउन के बीच जनता ने दूरदर्शन पर रामायाण धारावाहिक को बहुत पसंद किया। अब देश का बच्‍चा-बच्‍चा भगवान् राम की भक्‍त हो गया है। इसी बीच खबर आई की जवाहरलाल यूनिवर्सिटी मतलब JNU में रामायण पर 2 से 3 मई काे शाम को 4:00 से 6:00 बजे तक चलेगा। यह विशेष सत्र रामायण के माध्‍यम से लीडरशिप की कला और मैनेजमेंट सिखाने के उद्देश्‍य से किया जा रहा है।


JNU कुलपति प्रोफेसर जगदीश कुमार के मुताबिक इस विशेष सत्र का आयोजन JNU  का रामायण स्‍कूल कर रहा है। इसके आयोजक स्‍कूल ऑफ संस्‍कृत एंड इंडिक स्‍टडीज के प्रोफेसर संतोष कुमार शुक्‍ला और स्‍कूल ऑफ लैंग्‍वेज, लिटरेचर एंड कल्‍चरल स्‍टडीज के प्रोफेसर मजहर आसिफ हैं। यह आयोजन अपने आप में बहुत महत्‍वपूर्ण है।


मीडिया मे आ रही खबर के मुताबिक 'रामायण से नेतृत्‍व के सबक' सब्‍जेक्‍ट पर ऑनलाइन Webinar का आयोजन किया जाना है। यह Webinar आज के समय में बहुत ही खास माना जा रहा है। रामायण में से नेतृत्‍व की कला को बहुत बढ़ि‍या तरीके से सीखा जा सकता है। आज जब देश कोरोना वायरस की चपेट में है, तब दूरदर्शन पर रामायण से देश के युवाओं से काफी कुछ सीखा है। अभी भी हम रामायण से काफी कुछ और ही अधिक बातें सीख सकते है।



Twitter Post By ANI

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क्या अब पांच ट्रिलियन इकॉनमी बन पाएगा भारत

क्या अब पांच ट्रिलियन इकॉनमी बन पाएगा भारत?

निर्माण कार्य
लॉकडाउन की वजह से निर्माण कार्य रुक गए हैं

अगर आप भारतीय अर्थव्यवस्था पर क़रीब से नज़र रखते हैं या इससे किसी न किसी तरह से प्रभावित होते हैं तो सरकार ने आने वाले समय के बारे में दो ख़ास मुद्दों पर स्पष्टीकरण दिया है.
भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार प्रोफ़ेसर केवी सुब्रमण्यन ने इस बारे में बीबीसी से लंबी बातचीत की है.
पहला ये कि सरकार विशेष आर्थिक पैकेज लाने की तैयारी कर रही है जिसका मक़सद छोटे और मंझोले उद्योगों में पैसे की तंगी दूर करना है. उन्हें वापस पटरी पर लाना है और अपने पैरों पर खड़ा करना है.
लेकिन सरकार फ़िलहाल ये बताने के लिए तैयार नहीं दिखती कि यह पैकेज कब लाया जाएगा. और यही इसका दूसरा पहलू है.
प्रोफ़ेसर केवी सुब्रमण्यन कहते हैं, "इस बात से फ़र्क़ नहीं पड़ता कि हम इसकी घोषणा अभी करते हैं या बाद में. क्योंकि लॉकडाउन की वजह से आर्थिक गतिविधियां तो अभी किसी सूरत में शुरू होने वाली नहीं हैं. लॉकडाउन ने हमें अच्छे और व्यापक पैकेज तैयार करने के लिए समय दिया है. इसके अलावा हमारे पास बहुत सारे सुझाव आए हैं. जब हमने उन्हें इकट्ठा किया तो पावर प्वॉयंट प्रेजेंटेशन पर तक़रीबन 200 स्लाइड्स बन गईं. इसलिए उन्हें समझने और उनका विश्लेषण करने में वक़्त लगेगा. जब लॉकडाउन हटेगा तो हम इस आर्थिक पैकेज के साथ तैयार होंगे."

 

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कोरोना वायरस: कोविड-19

कोरोना वायरस: कोविड-19 मरीज़ों की लाशों से संक्रमण फैल सकता है?

 अंतिम संस्कार

कोविड-19 से मरने वाले लोगों के शरीर में वायरस ज़िंदा रह सकते हैं. ऐसे में हम क्या पर्याप्त सावधानी बरतते हुए इन शवों का पूरी गरिमा से अंतिम संस्कार कर सकते हैं.
पूरी दुनिया इस वक़्त कोविड-19 के भयावह दौर से गुज़र रही है. तमाम देशों से कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वालों की बेहद उदास करने वाली तस्वीरें आ रही हैं. ऐसी लाशें, जिनके नज़दीक उनके अपने भी मौजूद नहीं हैं.
कोरोना के शिकार हुए इन मरीज़ों की लाशें देखकर सिहरन पैदा होती है. यह मंज़र मौत और मरने वाले दोनों के प्रति डर पैदा करता है.
एक बड़ा डर इन लाशों के पोस्टमार्टम से संक्रमण फैलने का है. क्या कोरोना मरीज़ के शवों से संक्रमण फैल सकता है? क्या इन शवों को जला देना चाहिए या फिर इन्हें दफ़नाया जाना चाहिए? आइए, जानते हैं कि तथ्य क्या हैं?

कोरोना मरीज़ों के शवों से कोविड-19 फैल सकता है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक़ जब तक ज़रूरी सावधानियां बरती जाएं तब तक मरीज़ों के शवों से संक्रमण फैलने का कोई खतरा नहीं है.

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कोरोना

कोरोना: लॉकडाउन से मुसीबत में सुंदरबन के द्वीपों पर रहने वाले

सुंदरबन के गांव के लोग 

एक तरफ़ कुआं और दूसरी तरफ़ खाई वाली कहावत तो बहुत पुरानी है. लेकिन कोरोना की वजह से जारी देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान यह कहावत पश्चिम बंगाल के सुंदरबन इलाक़े के लोगों पर एक बार फिर चरितार्थ हो रही है.
लॉकडाउन के दौरान घरों में बंद रहने की वजह से उनकी कमाई ठप हो गई है. लेकिन घरों से निकल कर जंगल के भीतर जाने पर जान का ख़तरा है. वैसे भी वन विभाग ने इस साल जंगल के भीतर प्रवेश के लिए ज़रूरी परमिट पर पाबंदी लगा दी है.
पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश सीमा से सटा सुंदरबन इलाक़ा अपनी जैविक विविधता और मैंग्रोव के जंगल के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. यह दुनिया में रॉयल बंगाल टाइगर का सबसे बड़ा घर भी है. इलाक़े के 54 द्वीपों पर इंसानी बस्तियां हैं. कोरोना के डर से इनमें से कई द्वीपों ने ख़ुद को मुख्यभूमि से काट लिया है.
वैसे इन द्वीपों की भौगोलिक स्थिति ही अब तक इनके लिए रक्षा कवच बनी है. बाहर से अब कोई वहां पहुंच नहीं रहा है. पहले जो लोग देश के विभिन्न हिस्सों से आए थे उनको भी जाँच के बाद 14 दिनों के लिए क्वारंटीन में रहना पड़ा था.
इन द्वीपों पर रहने वाले लोग मुख्य रूप से खेती, मछली पकड़ने और जंगल से शहद एकत्र कर अपनी आजीविका चलाते हैं. लॉकडाउन की वजह से वन विभाग ने इस साल इन कामों के लिए जंगल में प्रवेश करने का परमिट नहीं दिया है. 

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कोरोना महामारी

कोरोना महामारीः रेमडेसिविर दवा को अमरीका ने दी मंज़ूरी

जानकारों का कहना है कि इस दवा को रामबाण नहीं माना जाना चाहिए
जानकारों का कहना है कि इस दवा को रामबाण नहीं माना जाना चाहिए
अमरीका ने इबोला के इलाज की दवा रेमडेसिविर को गंभीर तौर पर बीमार कोरोना रोगियों के इलाज के लिए इस्तेमाल की मंज़ूरी दे दी है.
अमरीका के फ़ूड एंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन के इस फ़ैसले के बाद अस्पतालों में भर्ती कोविड-19 के गंभीर मामलों में इस ऐंटी-वायरल दवा का उपयोग किया जा सकता है.
हाल ही में इस दवा के क्लीनिकल ट्रायल से पता चला कि इससे गंभीर तौर पर बीमार रोगी जल्दी ठीक हो सकते हैं.
हालाँकि, इससे लोगों के बचने की संभावना बहुत बढ़ जाती हो, ऐसा नहीं देखा गया.
जानकारों ने चेतावनी दी है कि इस दवा को कोरोना वायरस से बचने का रामबाण नहीं समझा जाना चाहिए.

 

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मस्जिद खोलने पर क्या इमरान ख़ान को डर

मस्जिद खोलने पर क्या इमरान ख़ान को डर से करना पड़ा सरेंडर

 कोरोना वायरस

रमज़ान की शुरुआत से कुछ दिन पहले दुनिया के अन्य देशों की तरह पाकिस्तान सरकार ने भी तय किया था कि कोविड-19 महामारी को कंट्रोल करने के लिए बनाई गई लॉकडाउन पॉलिसी को एक बार रिव्यू किया जाएगा.

लेकिन रिव्यू के आधार पर सरकार कोई निर्णय ले पाती, उससे पहले ही दो मौलवियों ने घोषणा कर दी कि सरकार का चाहे जो फ़ैसला हो, रमज़ान के दौरान मस्जिदें खुली रहेंगी.
14 अप्रैल को कराची में हुई एक प्रेस वार्ता में दो नामी धर्म गुरुओं, मुफ़्ती मुनीबुर्रहमान और मुफ़्ती तकी उस्मानी ने कहा कि 'मस्जिदें और मदरसे अनिश्चित काल के लिए बंद नहीं रह सकते, इसलिए रमज़ान के महीने में इन्हें खोला जाएगा और सामान्य दिनों की तरह मस्जिदों में नमाज़ पढ़ी जाएगी.'
लॉकडाउन के दौरान भी, पाकिस्तान में स्थानीय प्रशासन को मस्जिदों पर प्रतिबंध लगाने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा.
देखा गया कि जिन मस्जिदों में भारी भीड़ जमा हो रही थी और पुलिस ने ऐसी मस्जिदों को बंद कराने की कोशिश की, तो रूढ़िवादी लोगों के समूह ने उन्हें दौड़ाया, उनके साथ हाथापाई की गई. सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो वायरल हुए जिनमें पुलिस के साथ भीड़ बदसलूकी कर रही है.




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कोरोना वायरस के पैदा होने पर ट्रंप सही

कोरोना वायरस के पैदा होने पर ट्रंप सही या उनकी ख़ुफ़िया एजेंसी

 डोनाल्ड ट्रंप

अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि उन्होंने इसके सबूत देखे हैं कि कोरोना वायरस चीन के लैब में ही बना है.
राष्ट्रपति ट्रंप की राय उनके ही देश की राष्ट्रीय ख़ुफ़िया एजेंसी से अलग है, जिसने दावा किया है कि कोरोना वायरस लैब में नहीं बना है.
अमरीकी नेशनल इंटेलिजेंस एजेंसी में डायरेक्टर के ऑफ़िस ने कहा है कि वे अब भी इसकी जाँच कर रहे हैं कि वायरस कहाँ से शुरू हुआ.
हालांकि उन्होंने कहा है कि वे निश्चित तौर पर कह सकते हैं कि कोरोना वायरस किसी व्यक्ति ने नहीं बनाया है और न ही ये जेनेटिकली मॉडिफ़ाइड है.
चीन पहले भी कई बार लैब में कोरोना वायरस को बनाए जाने का दावा ख़ारिज कर चुका है. साथ ही उसने कोरोना वायरस को लेकर अमरीका की ओर से उठाए गए क़दमों की भी आलोचना की है.

 

 

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