कोरोना वायरस: क्या देश की सबसे बड़ी मंडी के बंद होने का ख़तरा है?

कोरोना वायरस: क्या देश की सबसे बड़ी मंडी के बंद होने का ख़तरा है?

 मंडी

राजधानी दिल्ली में स्थित देश की सबसे बड़ी सब्ज़ी और फल मंडी में कोविड-19 की वजह से एक शख़्स की मौत हो चुकी है और मंडी के चार आढ़ती अस्पताल में भर्ती कराए गए हैं. 

स्थानीय प्रशासन का दावा है कि मंडी में काम करने वाले सैकड़ों लोगों की अब तक जाँच की जा चुकी है.
मंडी में कोरोना वायरस महामारी को लेकर दहशत है, लेकिन 'मंडी की क़रीब 300 दुकानें बंद करा दी गई' हैं, इस बात को दिल्ली सरकार ने अफ़वाह बताया है. मंडी के आढ़तियों ने बीबीसी से बातचीत में भी इसकी पुष्टि की.

22 मार्च 2020 को लॉकडाउन शुरू होने के बाद भी इस तरह की अफ़वाह सोशल मीडिया पर देखने को मिली थी, लेकिन पिछले दिनों मंडी में काम करने वाले 57 वर्षीय भोला नाथ की मौत से पूरे आज़ादपुर में जो तनाव फैला, उससे इस अफ़वाह को एक बार फिर बल मिला.

आज़ादपुर मंडी में जो लोग भोला नाथ को जानते थे, उनका कहना है कि वे शुगर और हार्ट के मरीज़ थे.

 

कोरोना मरीज़ों को रिस्टबैंड से ट्रैक करने की तैयारी

कोरोना मरीज़ों को रिस्टबैंड से ट्रैक करने की तैयारी

रिस्टबैंड

कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने में सरकार को तीन जगहों पर सबसे ज़्यादा दिक़्क़त रही है, 

• संक्रमण को ठीक करने में लगे डॉक्टर और नर्स ख़ुद संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं
• हॉटस्पॉट एरिया में रहने वाले लोग घरों और आइसोलेशन में रहने को राज़ी नहीं हैं
• क्वारंटीन छोड़ कर लोग भाग रहें हैं, कई लोग नियमों का पालन करने को तैयार नहीं हैं. 

इन तीनों समस्याओं का तोड़ निकालने के लिए सरकार की एक कंपनी ब्रॉडकास्ट इंजिनियरिंग कंसल्टेंट इंडिया लिमिटेड ख़ुद सामने आई है. ये कंपनी भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अंदर काम करती है.

 

 

 

 

कोरोना वायरस के संक्रमण के दौर में कैसे रखें रमज़ान के रोज़े

कोरोना वायरस के संक्रमण के दौर में कैसे रखें रमज़ान के रोज़े?

पूरी दुनिया में लाखों लोग इस साल लॉकडाउन में रमज़ान के पवित्र महीने का पालन करेंगे.

मुस्लिम धर्म मानने वाले लोग हर साल एक चंद्र मास तक सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक बिना कुछ भी खाए-पिए रहते हैं. इसे रोज़ा रखना कहते हैं. यह महीना 29 या 30 दिन का होता है.

इस दौरान मुसलमान नमाज़ पढ़ते हैं और दुआएं मांगते हैं.

मुस्लिम धर्म मानने वाले हर ऐसे वयस्क शख्स के लिए रोज़े रखना अनिवार्य है जो कि बिना कुछ भी खाए-पिए सुरक्षित रह सकता है.

लेकिन, ऐसे वक़्त में जबकि हम एक महामारी के दौर से गुज़र रहे हैं, रोज़े रखने को लेकर कुछ चिंताएं भी हैं.







कोरोना वायरस वैक्सीन: टूटी उम्मीद ट्रायल में फेल हुआ रेमडेसिवयर

कोरोना वायरस वैक्सीन: टूटी उम्मीद ट्रायल में फेल हुआ रेमडेसिवयर

 रैंडम क्लिनिकल ट्रायल में फेल

कोरोना वायरस के संक्रमण में एक प्रभावी एंटी वायरल ड्रग के फेल होने की ख़बर है.

यह पहले ही रैंडम क्लिनिकल ट्रायल में फेल हो गई. इसे लेकर दुनिया भर में उम्मीद थी. इस एंटी वायरल ड्रग का नाम रेमडेसिवयर है. चीनी ट्रायल में यह ड्रग नाकाम रही. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन के दस्तावेजों के इसकी जानकारी मिली है.
कुल 237 मरीज़ों में से कुछ को वो ड्रग दी गई और कुछ को प्लेसीबो. एक महीने बाद ड्रग लेने वाले 13.9% मरीज़ों की मौत हो गई जबकि इसकी तुलना में प्लेसीबो लेने वाले 12.8% मरीज़ों की मौत हुई. साइड इफेक्ट के कारण ट्रायल को पहले ही रोक दिया गया. इस ड्रग के पीछे एक अमरीकी फर्म गिलिएड साइंस था.
रेमडेसिवयर ड्रग को लेकर काफ़ी उम्मीद थी. रेमडेसिवयर ड्रग से मरीज़ में कोई सुधार देखने को नहीं मिला. मतलब रेमडेसिवयर ड्रग देने से मरीज़ के ख़ून में रोगाणु कम नहीं हुए. इसके फेल होने की रिपोर्ट को WHO ने विस्तार से प्रकाशित किया था. बाद में WHO ने कहा कि ड्राफ़्ट रिपोर्ट ग़लती से अपलोड हो गई थी और रिपोर्ट को हटा लिया.
रिपोर्ट के अनुसार यह ट्रायल 237 मरीज़ों पर किया गया. इन मरीज़ों में से 158 को रेमडेसिवयर दी गई और बाक़ी के 79 को प्लेसीबो. एक महीने बाद रेमडेसिवयर लेने वाले 13.9% मरीज़ों की मौत हो गई और प्लेसीबो लेने वाले 12.8% मरीज़ों की.''

कोरोना वायरस: ट्रंप की अजीब सलाह

कोरोना वायरस: ट्रंप की अजीब सलाह- रोगाणुनाशक का इंजेक्शन



अमरीका में कोरोना वायरस के कहर के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई सलाह को लेकर डॉक्टरों ने कड़ी आपत्ति जताई है.
डोनाल्ड ट्रंप ने सलाह दी है कि इस पर शोध होना चाहिए कि क्या रोगाणुनाशकों को शरीर में इंजेक्ट करने से कोरोना वायरस का इलाज हो सकता है.
अमरीका में कोरोना वायरस के कारण 50 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और क़रीब 9 लाख लोग संक्रमित हैं. सबसे ज़्यादा प्रभावित न्यूयॉर्क प्रांत है, जहाँ 20 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
प्रेस ब्रीफिंग के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप इतने पर ही नहीं रुके. उन्होंने ये भी प्रस्ताव दे डाला कि अल्ट्रावॉयलेट लाइट से मरीज़ों के शरीर को इरेडिएट (वैसी चिकित्सा पद्धति जिसमें विकिरण का इस्तेमाल होता है) किया जा सकता है.
हालांकि उसी प्रेस ब्रीफ़िंग में डॉक्टरों ने इसे ख़ारिज कर दिया.


चीन जिस रिपोर्ट को रोकना चाहता था वो हुई जारी

चीन जिस रिपोर्ट को रोकना चाहता था वो हुई जारी- रॉयटर्स

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार चीन चाहता था कि यूरोपीय यूनियन की एक रिपोर्ट को रोका जाए. इस रिपोर्ट में चीन पर कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने को लेकर ग़लत सूचना देने का आरोप है.
रॉयटर्स के अनुसार चीन चाहता था कि इस रिपोर्ट को ब्लॉक किया जाए. रॉयर्टस ने चार स्रोतों और राजनयिक पत्राचारों की समीक्षा के बाद यह ख़बर दी है. आख़िरकार यह रिपोर्ट जारी हो गई. इस रिपोर्ट पर ईयू में चीनी मिशन की तरफ़ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
चीन के विदेश मंत्रालय ने भी अब तक कुछ नहीं कहा है. रॉयटर्स से ईयू की एक प्रवक्ता ने कहा, ''हम ऐसे मामलों पर कोई टिप्पणी नहीं करते हैं. यह हमारे पार्टनर्स और दूसरे देशों के बीच का संवाद है.'' ईयू के एक और अधिकारी ने रॉयटर्स से कहा कि यह रिपोर्ट जारी हो गई है और जैसी थी वैसी ही जारी हुई है.
रॉयटर्स से अनुसार पहले यह रिपोर्ट 21 अप्रैल को ही जारी होनी थी लेकिन चीनी अधिकारियों के पता चल जाने के कारण देरी हुई. रॉयटर्स के अनुसार, ''चीन के एक सीनियर अधिकारी ने चीन में ईयू के अधिकारियों से संपर्क साधा था और कहा था कि अगर रिपोर्ट उसी रूप में आज ही जारी होती है तो यह हमारे सहयोग के लिए बहुत ही बुरा होगा.''
रॉयटर्स ने चीनी विदेश मंत्रालय के अधिकारी यांग शिआगुआंग की एक टिप्पणी को कोट किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि रिपोर्ट प्रकाशित होगी तो यह चीन को नाराज़ करने वाला क़दम होगा.'' रॉर्यटर्स का कहना है कि इसी को लेकर रिपोर्ट जारी होने में देरी हुई. इस रिपोर्ट में चीन पर ग़लत सूचना देने और बाद में अपनी अंतर्राष्ट्रीय छवि सुधारने के लिए कई तरह के क़दम उठाने के आरोप लगाए गए हैं.