सेप्सिवैक दवा, जिससे कोरोना के इलाज की है उम्मीद
कोरोना वायरस (कोविड19) के इलाज के
लिए लगातार दवाई और वैक्सीन बनाने की कोशिश की जा रही है. दुनिया भर में
इसके लिए प्रयास हो रहे हैं.
इन्हीं कोशिशों में कुछ दवाइयों का ट्रायल किया जा रहा है जो कोविड19 के इलाज में मदद कर सकती हैं.
भारत में हाल ही में एक नई दवाई के क्लीनिकल ट्रायल को मंजूरी दी गई है. ये दवाई है सेप्सिवैक (Sepsivac).
इस
दवाई का इस्तेमाल ग्राम नेगेटिव सेप्सिस बीमारी के इलाज में किया जाता है.
21 अप्रैल को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने इस संबंध में जानकारी
दी.
स्वास्थ्य मंत्रालय के सुंयक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया,
“काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च (सीएसआईआर) कोविड19 के गंभीर
रूप से बीमार मरीज़ों में मृत्यु दर कम करने के लिए एक दवाई की क्षमता का
मूल्यांकन करने के लिए क्लिनिकल ट्रायल की शुरुआत करेगा. ग्राम नेगेटिव
सेप्सिस के मरीजों और कोविड19 मरीजों में क्लिनिकल लक्षणों की समानता होने
के कारण ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने ट्रायल की अनुमति दे दी है
जो जल्दी ही कई अस्पतालों में शुरू किया जाएगा.”
सेप्सिवैक के ट्रायल के लिए तीन अस्पताल चुने गए हैं. इनमें पोस्ट
ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़, एम्स दिल्ली
और भोपाल शामिल हैं. यहां पर 50 कोविड19 के मरीज़ों पर सेप्सिवैक का
परीक्षण किया जाएगा.
सीएसआईआर के महानिदेशक डॉक्टर शेखर सी. मंडे
बताते हैं, “कैडिला फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड ने इस दवाई का निर्माण किया
है और सीएसआईआर के सहयोग से तीन अस्पतालों में परीक्षण किया जाएगा. तीन में
से एक अस्पताल को एथिक्स कमिटी से अनुमति मिल गई है. बाकी दो को मंज़ूरी
मिलना बाकी है. जैसे ही अनुमति मिल जाएगी वैसे ही हम ट्रायल शुरू करवा
देंगे. कोविड19 के गंभीर मामलों वाले 50 मरीज़ों पर ये ट्रायल किया जाएगा.”
तीन तरह के ट्रायल
सीएसआईआर ने डीसीजीआई से तीन अलग-अलग ट्रायल के लिए अनुमति मांगी थी. पहले ट्रायल में गंभीर मामलों वाले मरीजों पर परीक्षण होगा.
दूसरे में, जो मरीज आईसीयू में नहीं हैं लेकिन कोविड19 का इलाज करा रहे हैं उन पर थोड़ा बड़ा परीक्षण होगा.
तीसरे ट्रायल में, जो मरीज ठीक हो चुके हैं, उन्हें ये दवा देकर दुबारा कोविड19 होने से रोका जा सके, इसके लिए परीक्षण किया जाएगा.
सीएसआईआर
का कहना है कि फिलहाल साफतौर पर ऐसे प्रमाण नहीं मिले हैं कि ठीक होने के
बाद फिर से कोविड19 हुआ हो. हालांकि, इन तीनों ट्रायल के लिए मंज़ूरी मिल
चुकी है. पहले ट्रायल में मरीज़ों की संख्या कम है तो इसके दो-तीन महीनों
में नतीजे आ सकते हैं.
सेप्सिवैक दवा का निर्माण
फिलहाल सेप्सिवैक दवा एंटी ग्राम सेप्सिस में इस्तेमाल होती है.
अहमदाबाद की कैडिला फार्मास्यूटिकल्स ने सेप्सिवैक दवा का निर्माण किया है.
इस
दवा का निर्माण सीएसआईआर के सहयोग से ग्राम-नेगेटिव सेप्सिस के मरीज़ों के
इलाज के लिए किया गया था. ये प्रोजेक्ट सीएसआईआर की ‘न्यू मिलेनियम इंडियन
टेक्नोलॉजी’ पहल के तहत चलाया गया था.
कंपनी को ग्राम नेगेटिव सेप्सिस के लिए इस दवा के क्लीनिकल ट्रायल में सफलता मिली थी.
कंपनी
की वेबसाइट पर लिखा है, “सेप्सिवैक में माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू होता है
जो सेप्सिस के मरीज़ों में प्रतिरक्षा (इम्यूनिटी) प्रतिक्रिया को
नियंत्रित करता है. इस दवाई को सेप्सिस और सेप्टिक शॉक में इम्यूनोथेरेपी
के इलाज के लिए डीसीजीआई से अनुमति प्राप्त है. इसके आकस्मिक ट्रायल में
सेप्सिस के मरीज़ों में मृत्यु दर में 11 प्रतिशत पूर्ण कमी और 55.5
प्रतिशत सापेक्ष कमी देखी गई है. सेप्सिवैक के कारण वेंटिलेटर पर, आईसीयू
में, अस्पताल में कम रहना पड़ता है.”
डॉक्टर शेखर मंडे भी कहते हैं
कि सेप्सिस के ट्रायल में ये पाया गया था कि सेप्सिवैक कुल मृत्यु दर को 50
प्रतिशत से कम ले आता है. ये इंसान की प्रतिरक्षा प्रणाली को बूस्ट करता
है यानी ताकत देता है. इसलिए कोविड19 के लिए भी इसके क्लीनिकल ट्रायल पर
विचार किया गया.
कैसे काम करती है सेप्सिवैक
इस
ट्रायल का आधार है कि एंटी ग्राम सेप्सिस और कोविड19 के लक्षणों में कुछ
समानता है इसलिए सेप्सिवैक दवा कोविड19 में भी मदद कर सकती है.
ऐसे में जानते हैं कि ये समानता क्या है और सेप्सिवैक दवा इसमें कैसे काम करती है.
सबसे
पहले जानते हैं कि सेप्सिस क्या है. सेप्सिस एक ऐसी बीमारी है जो शरीर में
किसी संक्रमण से होती है. इसमें हमारी रोग प्रतिरोधक प्रणाली अत्यधिक
सक्रिय हो जाती है.
बीमारी की शुरुआत शरीर में किसी प्रकार के
बैक्टीरियल संक्रमण से होती है. जैसे शरीर के किसी हिस्से में खरोंच या कट
जाना, कीड़े का काट लेना.
लेकिन यदि संक्रमण शरीर में तेज गति से
फैलने लगता है तो प्रतिरक्षा प्रणाली इसे रोकने के लिए उससे भी तेज गति से
काम करना शुरू कर देती है.
ऐसे में प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस के
साथ-साथ स्वस्थ कोशिकाओं पर भी हमला करना शुरू कर देती है. इसकी वजह से
शरीर में कई अंग काम करना बंद करने लगते है जैसे किडनी, लीवर आदि. इसमें
मौत भी हो सकती है.
क्या होता है ग्राम नेगेटिव सेप्सिस
सीएसआईआर की
जम्मू स्थित लैब के निदेशक डॉक्टर राम विश्वकर्मा बताते हैं, “बैक्टीरियल
इंफेक्शन दो तरह के होते हैं- एक ग्राम नेगेटिव और दूसरा ग्राम पॉजिटिव.
सेप्सिस भी ग्राम नेगेटिव और ग्राम पॉजिटिव दोनों हो सकता है. ये दोनों
अलग-अलग तरह के बैक्टीरिया से होते हैं. ग्राम नेगेटिव बैक्टीरिया सबसे
खतरनाक होते हैं. हमारे पास उनकी ज़्यादा दवाइयां नहीं हैं. इसमें 50 से 60
प्रतिशत मामलों में मौत हो जाती है. अधिकतर एंटी-बायोटिक ग्राम पॉजिटिव के
लिए हैं.”
“ग्राम नेगेटिव सेप्सिस में प्रतिरक्षा प्रणाली अतिसक्रिय
हो जाती है और शरीर को नुक़सान पहुंचाने लगती है. इसे साइटोकाइन स्ट्रॉम
भी कहा जाता है. कोविड19 के गंभीर मामलों में भी बिल्कुल यही देखने को मिला
है. इसमें जब संक्रमण बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है तो शरीर की प्रतिरक्षा
प्रणाली अतिसक्रिय हो जाती है. हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली उलझन में आ जाती
है और वो स्वस्थ कोशिकाओं पर भी हमला कर देती है और इससे शरीर के अंग खराब
होना शुरू हो जाते हैं.”
डॉक्टर राम विश्वकर्मा बताते हैं कि बीमारी
में सेप्सिवैक शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है. प्रतिरक्षा
प्रणाली के कई कॉम्पॉनेंट होते हैं. जो फायदेमंद इम्यूनिटी है ये दवाई उनको
बढ़ाने में मदद करेगी और जो इम्यूनिटी अतिसक्रिय हो गई है उसे नियंत्रित
करेगा. इम्यूनिटी के बिना इंसान ज़िंदा नहीं रह सकता लेकिन अगर अतिसक्रिय
हो गई तो ये मार देती है.
डॉक्टर राम विश्वकर्मा कहते हैं, “एक अच्छी
बात ये है कि सेप्सिवैक को ग्राम नेगेटिव सेप्सिस के लिए अनुमति मिल चुकी
है. जब एक बार किसी दवाई को अनुमति मिल जाती है तो इसका मतलब है कि वो
इंसानों के लिए सुरक्षित है. अब हमें ये देखना है कि ये दवाई कोविड19 में
कोई फायदा कर सकती है या नहीं. इसे रिपर्पजिंग बोलते हैं यानी पुन: एक और
उद्देश्य के लिए इस्तेमाल होना. बिल्कुल नई दवाई बनाने में सालों लग जाते
हैं.”