ऑनलाइन एडुकेशन में क्वालिटी कंटेट उपलब्ध

ऑनलाइन एडुकेशन में क्वालिटी कंटेट उपलब्ध करवाने के लिए HRD ने शुरू की विद्यादान 2 

कोरोना वायरस (Coronavirus) यानी कोविड 19 (Covid 19) की वजह से देशभर ऑनलाइन क्लासेज कर रहे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण डिजिटल पाठ्य सामग्री उपलब्ध करवाने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बुधवार को विद्यादान 2 की शुरुआत की।

 

नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) यानी कोविड 19 (Covid 19) की वजह से देशभर ऑनलाइन क्लासेज कर रहे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण डिजिटल पाठ्य सामग्री उपलब्ध करवाने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बुधवार को विद्यादान 2 की शुरुआत की। इस मौके पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री श्री संजय धोत्रे भी मौजूद थे।
इस विद्यादान को राष्ट्रीय स्तर पर चलाया जाएगा, जिसके तहत विभिन्न शिक्षाविदों और संगठनों को पाठ्यक्रम के अनुसार ई-लर्निंग सामग्री विकसित करने और इसमें योगदान देने के लिए जोड़ा जायेगा। जो भी ई-लर्निंग सामग्री विकसित करने में अपना योगदान देना चाहते हैं वो व्याख्यात्मक वीडियो, एनीमेशन, पथ योजनाओं, मूल्यांकन और प्रश्न बैंक के रूप में अपना योगदान दर्ज करवा सकते हैं।
समस्त सामग्री की समीक्षा विशेषज्ञों द्वारा की जाएगी और उसके बाद उसको दीक्षा एप पर उपयोग के लिए जारी किया जायेगा जिससे देश भर के लाखों करोड़ों छात्रों को कहीं भी और कभी भी पढाई करने की सुविधा उपलब्ध होगी।
राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने अपने हिसाब से विद्यादान कार्यक्रम शुरू कर सकते हैं जिसमें वो व्यक्तियों, संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, एडटेक संगठनों, शिक्षकों आदि को इससे जोड़ कर इसमें पाठ्य सामग्री क्षेत्रीय भाषा और अपने अपने क्षेत्रों के सन्दर्भ में भी उपलब्ध करवा सकते हैं।
पाठ्य सामग्री योगदान उपकरण के माध्यम से विद्यदान पर उपलब्ध एक मानकीकृत टेमपलेट एक समान संरचना बनाने में भी मदद करेगा। इस पर उपलब्ध पाठ्य सामग्री सभी शिक्षा विभागों जैसे कि सरकारी विभाग, राज्य एवं केंद्रीय शिक्षा बोर्ड, सरकारी एवं निजी विद्यालय आदि के उपयोग के लिए उपलब्ध होगी। बहुत जल्द इसका लाभ उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों को भी पहुँचाया जायेगा।



अगस्ता वेस्टलैंड केस: क्रिश्चियन मिशेल को सुप्रीम कोर्ट से झटका

अगस्ता वेस्टलैंड केस: क्रिश्चियन मिशेल को सुप्रीम कोर्ट से झटका, जमानत याचिका खारिज

AgustaWestland Case: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अगस्‍तावेस्‍टलैंड (AgustaWestland) मामले में आरोपी क्रिश्‍चियन माइकल (Christian Michel) की अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। क्रिश्‍चियन माइकल (Christian Michel) ने खराब सेहत का हवाला देते हुए कोविड-19 महामारी के कारण जमानत की गुहार लगाई थी।

 

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अगस्‍तावेस्‍टलैंड (AgustaWestland) मामले में आरोपी क्रिश्‍चियन माइकल (Christian Michel) की अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। क्रिश्‍चियन माइकल (Christian Michel) ने खराब सेहत का हवाला देते हुए कोविड-19 महामारी के कारण जमानत की गुहार लगाई थी। याचिका में मिशेल ने कोरोना वायरस के बढ़ते ख़तरे को जमानत का आधार बनाया था।
मिशेल ने अपनी याचिका में कहा था, कि उसका स्वास्थ्य पहले से ही खराब है ऐसे में उसे कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा बढ़ गया है किसी दूसरे कैदी के मुकाबले। लिहाज़ा उसे जमानत दी जाए। याचिका में उसने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को भी आधार बनाया गया था, जिसमें जेलों से कैदियों को रिहा करने को कहा गया है। इससे पहले 6 अप्रैल को दिल्‍ली हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई की गई थी और मामले में कथित बिचौलिए मिशेल की अंतरिम जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
आपको बता दें कि मिशेल ने अपनी उम्र व स्‍वास्‍थ्‍य का हवाला देते हुए याचिका में जमानत की मांग की है। मिशेल के वकील अल्‍जो के जोसफ की ओर से लगाई गई याचिका में उनकी उम्र 59 वर्ष है और वे बीमार हैं। इसके कारण वे कोविड-19 महामारी के लिए अधिक संवेदनशील हैं। इसके तहत इन्‍हें भीड़-भाड़ वाले जेल में रखना उचित नहीं है और उन्‍हें जमानत दे दी जाए।
इस याचिका में क्रिश्चियन मिशेल ने कहा कि वह गिरफ्तारी के दिन से न्यायिक हिरासत में है. पूरी कार्यवाही के दौरान वह सम्मानजनक और विनम्रता से पेश हुआ है। मिशेल को पिछले साल दुबई से प्रत्यर्पित किया गया था। सीबीआई एक बिचौलिए के रूप में सौदे में उसकी कथित भूमिका की जांच कर रही है। वहीं ईडी मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रही है।
आपको बता दें कि मिशेल को पिछले साल दुबई से प्रत्यर्पित किया गया था और वर्तमान में वह हेलिकॉप्टर सौदे में कथित तौर पर की गई अनियमितताओं के मामले में तिहाड़ जेल में बंद हैं। जबकि सीबीआई एक ‘बिचौलिए’ के रूप में सौदे में उसकी कथित भूमिका की जांच कर रही है। वहीं प्रवर्तन निदेशालय उसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रहा है। वहीं, सीबीआई और ईडी कोर्ट से पहले ही जमानत नहीं देने की अपील कर चुका है। जांच एजेंसियों का कहना है कि आरोपियों के संबंध कई बड़े लोगों से ऐसे में जमानत पर आरोपी अगर बाहर आता है तो केस प्रभावित हो सकता है। गौरतलब है कि 3,600 करोड़ रुपये के अगस्ता-वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर सौदा मामले में हाल में रितुल पुरी को जमानत मिल चुकी है।


Corona Kit: चीन दुनिया को दिया धोखा

Corona Kit: चीन दुनिया को दिया धोखा, वजह जानकर उड़ जायेंगे होश!

कहा तो ये भी जा रहा है कि चीन भारत को और पहले ही किट देने का वादा किया था लेकिन वह किट अमेरिका भेज दिए गए। तो क्या चीन ने भारत को धोखा दिया है। राजस्थान के स्वास्थ मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि इस किट से कोरोना से पॉजिटिव लोगों के टेस्ट भी निगेटिव आ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि चीन ने केवल खराब किट ही भेजे हों कोरोना से जंग के चीन से आई पीपीई किट में खराबी निकली थी।

 


नई दिल्ली। अभी तक कोरोना वायरस फैलाने के आरोप झेल रहे चीन पर अब घटिया किस्म की रैपिड टेस्ट किट भेजने के आरोप लगने लगे हैं। कोरोना फैलाने पर तो चीन ने कहा कि अमेरिकी, ब्रिटेन और फ्रांस बिना किसी सुबूत के आरोप लगा रहे हैं। लेकिन घटिया कोरोना किट भेजे जाने पर सवाल पर चीन को सांप सूंघ गया है। इटली से लेकर पाकिस्तान तक चीन ने जहां भी किट और पीपीई किट भेजे हैं सब बेहद घटिया और इस्तेमाल करने पर जोखिम भरे हो सकते हैं। कुछ देशों ने आपत्ति जताई है लेकिन पाकिस्तान जैसे देश चुप होकर बैठ गये हैं। भारत ने चीन से आई रैपिड टेस्ट किट में गड़बड़ी पाये जाने पर उनका इस्तेमाल रोक दिया है। इसके अलावा भारत सरकार ने इस मुद्दे को चीन की सरकार के साथ भी उठाया है।
कोरोना को मात देने के लिए भारत ने रैपिड टेस्ट किट चीन से मंगवाए लेकिन उस किट के गुणवत्ता पर बड़े सवाल उठे हैं। स्थिति ये है कि राजस्थान ने तो रैपिड किट से जांच तक को रोक दिया। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने भी अगले दो दिनों तक सभी राज्यों को इस किट से जांच रोकने को कहा है। ऐसे में चीन से आए इन किटों पर कई सवाल उठ रहे हैं। क्या चीन ने जानबूझकर भारत को खराब किट भेजे। कहा तो ये भी जा रहा है कि चीन भारत को और पहले ही किट देने का वादा किया था लेकिन वह किट अमेरिका भेज दिए गए। तो क्या चीन ने भारत को धोखा दिया है। राजस्थान के स्वास्थ मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि इस किट से कोरोना से पॉजिटिव लोगों के टेस्ट भी निगेटिव आ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि चीन ने केवल खराब किट ही भेजे हों कोरोना से जंग के चीन से आई पीपीई किट में खराबी निकली थी। चीन पर सवाल उठे कि उसने भारत को खराब पीपीई किट भेजे। ऐसे में रैपिड टेस्टिंग किट पर कई सवाल उठ रहे हैं।
पहला सवाल है कि क्या चीन ने जानबूझकर भारत को खराब किट भेजी है। चीन ने अपने प्रांत हुबेई में कोरोना से निपटने के बाद पूरी दुनिया को रैपिड टेस्टिंग किट भेज रहा है। भारत ने भी चीन से ये किट मंगवाए। लेकिन यहां किट से मिलने वाले नतीजे गलत निकल रहे हैं। दुनिया के कई अन्य देशों में चीन ने रैपिड टेस्टिंग किट भेजा है लेकिन भारत में जिस तरीके से इस किट के नतीजे गड़बड़ आ रहे हैं ऐसे में चीन पर यह सवाल उठ रहा है क्या उसने जानबूझकर खराब किट भेजी है? हालांकि चीन की तरफ से अभी इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
एक सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या चीन कोरोना के खिलाफ भारत के मोर्चे को कमजोर करना चाहता है? भारत में दुनिया के अन्य देशों की तुलना में कोरोना के केस कम हैं। भारत ने दुनिया की अन्य देशों की तुलना में बहुत पहले लॉकडाउन को लागू कर दिया था। अभी भी 3 मई तक देश में लॉकडाउन लागू हैं। तो ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या चीन कोरोना के खिलाफ भारत की लड़ाई को कमजोर करना चाहता है।


Corona Coverage: मीडिया के लिए

Corona Coverage: मीडिया के लिए अलग से कर्फ्यू पास का एनबीए ने किया विरोध, सीएम योगी को लिखी चिट्ठी

एनबीए के अध्यक्ष रजत शर्मा ने अपनी चिट्ठी में कहा कि दिल्ली-नोएडा का जो बॉर्डर सील किया गया है, उससे मीडियाकर्मियों को काम करने में परेशानी होगी, क्योंकि इसके लिए कर्फ्यू पास की आवश्यकता अनिवार्य है। बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी और रिपोर्टर को एक जगह से दूसरी जगह जाना होता है। क्योंकि हर बार लोकेशन पहले से तय नहीं होता है, ऐसे में कर्फ्यू पास लेने के समय इसकी जानकारी देना हमारे लिए बेहद मुश्किल है।
 

नई दिल्ली। कोरोना करवेज के लिए मीडिया के आईडेंटिटी कार्ड्स के बजाए अलग से कर्फ्यू पास जारी किये जाने के नोएडा प्रशासन के फैसले के खिलाफ न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखी है। एनबीए ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि मीडियाकर्मियों को चैनल की तरफ से जारी किए फोटो आइडेंटिटी कार्ड के आधार पर दिल्ली नोएडा बॉर्डर पर आने-जाने की सुविधा दी जाये।
एनबीए के अध्यक्ष रजत शर्मा ने अपनी चिट्ठी में कहा कि दिल्ली-नोएडा का जो बॉर्डर सील किया गया है, उससे मीडियाकर्मियों को काम करने में परेशानी होगी, क्योंकि इसके लिए कर्फ्यू पास की आवश्यकता अनिवार्य है। बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी और रिपोर्टर को एक जगह से दूसरी जगह जाना होता है। क्योंकि हर बार लोकेशन पहले से तय नहीं होता है, ऐसे में कर्फ्यू पास लेने के समय इसकी जानकारी देना हमारे लिए बेहद मुश्किल है।
इसके साथ ही कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट उपलब्ध नहीं है, इसलिए हमें अपने ज्यादातर स्टाफ को पिक-अप और ड्रॉप की सुविधा मुहैया करा रहे हैं। इसके लिए कंपनी और कॉन्ट्रैक्ट पर उपलब्ध गाड़ियों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसकी संख्या सीमित है। जितना ज्यादा हो सके हम अपने कर्मचारियों को इसकी सुविधा मुहैया करा रहे हैं और इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है।
ट्रांसपोर्ट के लिए जिन गाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है उसमें एसयूवी और सेडान जैसी गाड़ियां शामिल हैं। आठ सीटों वाली एसयूवी में ड्राइवर को मिलाकर छह कर्मचारियों और छह सीटर वाली गाड़ियों में ड्राइवर को मिलाकर चार कर्मचारी होते हैं।
इस परिस्थिति में मीडियाकर्मियों के लिए स्पेशल कर्फ्यू पास और दूसरे प्रतिबंध लॉकडाउन के दौरान न्यूज़ चैनलों के कामकाम जो प्रभावित करेंगे। यह बड़े जनहित को बहुत नुकसान पहुंचाएगा और महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए जरूरी माध्यम से जनता को वंचित करेगा, जिसमें जीवन रक्षक जानकारी भी शामिल हैं।
इसलिए आपसे अनुरोध है कि समाचार चैनलों की तरफ से जारी किए गए फोटो आइडेंटिटी कार्ड के आधार पर दिल्ली नोएडा बॉर्डर और प्रोफेशनल काम के लिए यात्रा करने की अनुमति दें।


कोरोना संकटः राज्यों को आर्थिक मोर्चे पर उबारने के लिए कैप्टन ने पीएम मोदी को भेजे खास सुझाव

कोरोना संकटः राज्यों को आर्थिक मोर्चे पर उबारने के लिए कैप्टन ने पीएम मोदी को भेजे खास सुझाव

 

चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार से कहा था कि कोरोना वायरस बहुत बड़ा संकट था और उससे निपटने के लिए टोटल लॉक डाउन भी जरूरी था, लेकिन अब सबसे जरूरी राज्यों को वित्तीय संकट से उबारना है। क्योंकि लॉक डाउन के कारण सारी व्यावसायिक और औद्योगिक गतिविधियां ठप हो गयी हैं। सरकारी खर्चों की पूर्ति के लिए राज्यों को बेल आउट पैकेज की आवश्यकता है। कैप्टन ने राज्यों को आर्थिक संकट से उबारने के लिए त्रिआयामी रणनीति का सुझाव भी पेश किया है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खत भी लिखा जिसमें उन्होंने पूरी रणनीति का खुलासा किया है। उन्होंने लिखा है कि 15वें वित्त आयोग के पिछले साल के अनुमानों, जिसमें घरेलू विकास दर में सात प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया था, के मुकाबले राज्यों को इस बार बहुत कम राजस्व मिलने की हालत में 2020-21 के लिए इसकी अंतरिम रिपोर्ट की फिर समीक्षा की जाये। घरेलू विकास दर में शून्य विकास का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ विश्लेषक नकारात्मक विकास की बात कर रहे हैं।
कैप्टन ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वह 15वें वित्त आयोग को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपने का समय अक्तूबर 2021 तक टालने की हिदायत दें, ताकि राज्य अगले पांच सालों में अर्थव्यवस्था के संभावित विकास का सही मूल्यांकन करने के योग्य हो जाएं। मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में राज्यों को स्वास्थ्य से जुड़े अतिरिक्त खर्चों और मूलभूत राहत खर्चों से निपटने में सहायता प्रदान करने के लिए तुरंत तीन महीने का विशेष वित्तीय सहायता पैकेज देने की मांग की। उन्होंने सुझाव दिया कि राज्यों को जरूरत के अनुसार स्थानीय समस्याओं और जरूरतों के लिए इसका प्रयोग करने की छूट दी जानी चाहिए। प्रस्ताव के अनुसार तीन महीने के पैकेज को विशेष कोविड-19 राजस्व अनुदान के विरुद्ध एडजस्ट किया जा सकता है।
कैप्टन ने सुझाव दिया कि वित्त आयोग 2020-21 के लिए एक और अंतरिम रिपोर्ट बना सकता है। हालांकि 3 मई 2020 तक 40 दिनों का लॉकडाउन कोविड -19 के फैलाव को रोकने के लिए जरूरी था, परन्तु इसके नतीजे के तौर पर बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। सभी राज्य इस समय बहुत गंभीर वित्तीय मुश्किलों में से गुजर रहे हैं।
कैप्टन अमरिंदर ने कहा है कि पंजाब के खजाने पर बड़ा बोझ पड़ रहा है। व्यापार, कारोबार और उद्योगों के करीब-करीब बंद होने से राजस्व कम हो गया है और इस समय अत्यधिक जरूरी स्वास्थ्य एवं राहत कार्यों के खर्चों के लिए बड़े स्तर पर फंड की जरूरत है। कैप्टन ने आगे कहा कि 15वें वित्त आयोग को साल 2020-21 के लिए विशेष कोविड-19 राजस्व अनुदान की सिफारिश करने की विनती की जाए। तीन आयामी रणनीति के तीसरे स्तंभ के तौर पर उन्होंने राजस्व की कमी को पूरा करने के लिए घाटे को बढ़ाने का प्रस्ताव भी दिया, जैसे अन्य देशों द्वारा किया जा रहा था।

 

World War: ट्रंप के इस आदेश

World War: ट्रंप के इस आदेश के बाद फिर से बन रहे हैं तीसरे विश्वयुद्ध के आसार

अमेरिकी नौसैनिकों को घेरने वाले ईरानी जहाज वहां की रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प के थे। अमेरिका ने इस संगठन को आतंकी संगठन घोषित कर रखा है। इसके बाद दोनों देशों के बीच चला आ रहा तनाव और बढ़ गया था। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के अनुसार ईरानी जहाजों ने यह हरकत तब की जब अमेरिकी पोत अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा में थे।

 


वाशिंगटन। कोरोना संकट के साथ ही दुनिया पर एक नये युद्ध के संकट के बादल फिर से मंडराने लगे हैं। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपनी नैवी को आदेश दिया है कि यदि ईरानी जहाज उनके कार्य में बाधा डालते हैं या परेशान करते हैं तो उन्हें मार गिराया जाये। ट्रंप के इस तरह के आदेशों पर ईरान की प्रतिक्रिया अभी नहीं मिल पायी है लेकिन यह माना जा रहा है कि इस आदेश से एक बार फिर स्थिति काफी गंभीर होने सकती है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नेवी को निर्देश दिया है कि अगर ईरानी युद्धपोत हमारे जहाज को परेशान करते हैं तो उन्हें शूट कर दिया जाए। ट्रंप ने यह आदेश ऐसे वक्त में दिया है जब करीब एक सप्ताह पहले फारस की खाड़ी में अमेरिका के युद्धपोत को 11 लड़ाकू जहाजों द्वारा घेरने की खबर सामने आई थी। अमेरिकी नौसेना ने इसे खतरनाक और भड़काने वाला करार दिया था।
ट्रंप ने ट्वीट किया, ‘मैंने अमेरिकी नेवी को निर्देश दिया है कि अगर समुद्र में हमारे जहाजों को परेशान किया जाता है तो किसी भी और सभी ईरानी गनबोट को शूट कर नष्ट कर दें।
एक समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी नौसैनिकों को घेरने वाले ईरानी जहाज वहां की रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प के थे। अमेरिका ने इस संगठन को आतंकी संगठन घोषित कर रखा है। इसके बाद दोनों देशों के बीच चला आ रहा तनाव और बढ़ गया था। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के अनुसार ईरानी जहाजों ने यह हरकत तब की जब अमेरिकी पोत अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा में थे। ये अमेरिकी जहाज सैन्य हेलिकॉप्टरों के साथ मिलकर अभ्यास कर रहे थे। एक स्थान पर तो ईरानी जहाज अमेरिकी तटरक्षक बल के जहाज के महज 10 गज करीब तक पहुंच गया।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने 2015 में ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से अलग होकर उसपर और प्रतिबंध लगा दिए थे। इतना काफी नहीं था कि अमेरिकी सैनिकों के हमले में ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी की जिसके बाद दोनों देश युद्ध के मुहाने पर पहुंच गए। ईरान ने बदले की कार्रवाई करते हुए इराक में अमेरिकी दूतावासों और सैन्य अड्डों को निशाना बनाकर कई बार रॉकेट दागा है। पिछले महीने ही ट्रंप ने दावा किया था कि ईरान हमले की बड़ी प्लानिंग कर रहा है लेकिन अगर वह ऐसा करता है तो बुरे परिणाम भुगतने होंगे।
ट्रंप का बयान ऐसे समय में आया जब संयोगवश ईरान ने अपने पहले मिलिटरी सैटलाइट को आज सफलतापूर्वक लॉन्च कर लिया। अमेरिका ने आरोप लगाया है कि वह अपने मिसाइल प्रोगाम को कवर करने के लिए इसे लॉन्च किया है। रिवॉल्यूशनरी गार्ड ने बुधवार को अपने आधिकारिक वेबसाइट पर लिखा, ‘ईरान का पहला सैटलाइट सफलतापूर्वक कक्षा में प्रवेश कर गया है।’

बालाकोट के बाद लश्कर-ए-तैयबा का दूसरा बेस भी तबाह

बालाकोट के बाद लश्कर-ए-तैयबा का दूसरा बेस भी तबाह, काल बनकर आतंकियों पर टूटे सुरक्षाबल, देखें यहां पूरी जानकारी

ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद करीम नियाजी ने कहा, 'हमारे सुरक्षाबल इन आतंकियों के अड्डों का सफाया करने में सक्षम हैं। हमने दर्जनों छोटे और भारी हथियार जब्त किए हैं।' वहीं, अफगान बॉर्डर फोर्स के कमांडर मोहम्मद अयूब हुसैनखैल ने बताया, 'यहां जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ है। उनके पास उन्नत हथियार हैं। ये सेंटर अब पूरी तरह से साफ कर दिए गए हैं।




नई दिल्ली। पिछले साल 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला करने वाले आतंकी गिरोह लश्कर-ए-तैयबा के बालाकोट वाले अड्डे को भारतीय वायु सेना ने 12 दिन बाद ही नेस्तनाबूद कर दिया था। पुलवामा में हमला करने वाले आतंकियों ने इसी अड्डे पर ट्रेनिंग ली थी। पाकिस्तानी फौज और आईएसआई ने मुंह की खाने के बाद लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों को अफगानिस्तान के नांगरहर में शिफ्ट कर दिया था। पाकिस्तानी फौज लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों को अफगानिस्तान में ठीक उसी तरह इस्तेमाल करती है जैसे वो भारत के कश्मीर में करती है। उसी लश्कर-ए-तैयबा के नांगरहर वाले बेस में बैठे आतंकियों पर अफगानी सुरक्षाबल काल बनकर टूटे और उन्होंने पाकिस्तान समर्थित आतंकियों के अड्डे को ध्वस्त कर दिया।
इस तरह पूर्वी और पश्चिमी दोनों मोर्चों पर आतंक फैलाने वाले इस आतंकी गिरोह की रीढ़ अफगानी सुरक्षाबलों ने तोड़ दी है। इस गिरोह का सरगना मौलाना मसूद अजहर है। मसूद अजहर बालाकोट पर भारतीय वायु सेना के हमले से पहले ही पाकिस्तानी आर्मी की कड़ी सुरक्षा में है। लगभग एक साल के भीतर लश्कर-ए-तैयबा के दो बड़े ठिकाने ध्वस्त हो जाने से आईएसआई बुरी तरह बौखलाई हुई है। भारतीय खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि आईएसआई और पाकिस्तानी फौज अब कश्मीर में  बौखलाहट निकालने की कोशिश कर सकती है।
अफगानिस्तान के सैनिकों ने पूर्वी प्रांत नांगरहार में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकाने को नष्ट कर दिया है। सेना के मुताबिक नांगरहार प्रांत के घोरकई इलाके में जैश के आतंकी 15 सालों से सक्रिय हैं। बताया जा रहा है कि इस दौरान ग्रुप का पाकिस्तानी सदस्य अरेस्ट किया गया है और बड़ी मात्रा में हथियार जब्त किए गए हैं।

ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद करीम नियाजी ने कहा, ‘हमारे सुरक्षाबल इन आतंकियों के अड्डों का सफाया करने में सक्षम हैं। हमने दर्जनों छोटे और भारी हथियार जब्त किए हैं।’ वहीं, अफगान बॉर्डर फोर्स के कमांडर मोहम्मद अयूब हुसैनखैल ने बताया, ‘यहां जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ है। उनके पास उन्नत हथियार हैं। ये सेंटर अब पूरी तरह से साफ कर दिए गए हैं।’
उल्लेखनीय है कि पिछले साल ही जैश सरगना मसूद अजहर को यूएन ने आतंकियों की सूची में डाल दिया था। 2001 में भारतीय संसद पर हमला, 2016 में पठानकोट एयरबेस अटैक और 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले में जैश का हाथ रहा है। 2019 में पुलवामा में अटैक के बाद भारतीय वायु सेना के फाइटर जेट्स ने पीओके और पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर बम गिरा कर उसे नष्ट कर दिया था। हाल ही में भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा के दूसरी तरफ पीओके में आतंकियों के लॉन्च पैड को तबाह कर दिया।
ऐसे में अफगानिस्तान में जैश के ठिकानों को नष्ट किया जाना भारत के लिए भी अच्छी खबर है। क्योंकि जैश के आतंकी अफगानिस्तान में भी भारत विरोधी अभियानों में संलिप्त पाए गए हैं। वहीं, अफगानिस्तान ने डुरंड लाइन से लगती हुए घोरकई इलाके को बंद कर दिया है जो कि तालीबान का सप्लाई रूट है।


ईपीएफओ ने 15 दिनों में 10 लाख खाताधारकों को 3600 करोड़ रुपये का किया भुगतान

ईपीएफओ ने 15 दिनों में 10 लाख खाताधारकों को 3600 करोड़ रुपये का किया भुगतान

EPFO: कोरोना वायरस (Coronavirus) यानी कोविड 19 (Covid 19) महामारी के बढ़ते संक्रमण के बीच लोगों के पैसों की जरूरत को देखते हुए महज 15 दिनों में ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organisation) ने 10.02 लाख ईपीएफ खाताधारकों के क्लेम को सेटल कर दिया है।

 

मनीष कुमार, नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) यानी कोविड 19 (Covid 19) महामारी के बढ़ते संक्रमण के बीच लोगों के पैसों की जरूरत को देखते हुए महज 15 दिनों में ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organisation) ने 10.02 लाख ईपीएफ खाताधारकों के क्लेम को सेटल कर दिया है, जिसमें 6.06 लाख से अधिक वैसे क्लेम हैं जो KOVID19 के मद्देनजर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत सेटल किये गए हैं।
ईपीएफओ ने बीते 15 दिनों में ईपीएफ खाताधारकों को 3600 करोड़ रुपये का भुगतान किया है जिसमें 1954 करोड़ रुपये का भुगतान KOVID19 क्लेम के तहत किया गया है। लॉकडाउन के चलते ईपीएफओ केवल एक तिहाई कर्मचारियों के साथ कार्य कर रहा है फिर भी ईपीएफओ ने 90 फीसदी KOVID19 क्लेम को महज 3 दिनों में सेटल कर दिया है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 26 मार्च को कोरोना वायरस के चलते घोषित लॉकडाउन के दौरान गरीबों की मदद के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का एलान किया था। जिसमें ये भी प्रावधान किया गया था कि अगर कोई कर्मचारी इस इमरजेंसी में अपने ईपीएफ खाते में जमा गाढ़ी कमाई से कुछ रकम निकालना चाहता है तो वो KOVID19 प्रोविजन के तहत निकाल सकता है। इस प्रावधान के तहत कोई भी ईपीएफ खाताधारक अपने खाते से 3 महीने का बेसिक वेतन और डीए के बराबर या फिर ईपीएफ खाते में जमा 75 फीसदी रकम निकाल सकता है। और ये नॉन रिफंडेबल है।
जाहिर है एक तरफ जब कई कंपनियां लॉकडाउन के चलते खराब वित्तिय हालत का हवाला देकर वेतन में कटौती कर रही या फिर भुगतान नहीं कर रही। ऐसे में संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए सरकार का ये फैसला बड़ी राहत लेकर आया है।

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