लॉकडाउन 3.0

लॉकडाउन 3.0: जानें- 17 मई तक किस जोन में कितनी राहत और कहां मिलेगी छूट

गृह मंत्रालय ने शुक्रवार शाम को 2 और हफ्ते के लिए तीसरी बार लॉकडाउन बढ़ा दिया है. लॉकडाउन बढ़ने से अब 17 मई तक देश में रेल, मेट्रो और हवाई सेवा बंद रहेगी. तो स्कूल, कॉलेज और शिक्षण संस्थान भी नहीं खुलेंगे. साथ ही होटल और रेस्टोरेंट भी बंद रहेंगे. धार्मिक स्थल भी बंद रहेंगे. 

 2 और हफ्ते के लिए देश में बढ़ गया लॉकडाउन (फाइल-पीटीआई)

 

  • 17 मई तक बढ़ा लॉकडाउन, तीसरी बार बढ़ा
  • लॉकडाउन को चरणबद्ध तरीके से खोला जा रहा
  • मॉल, सिनेमा हॉल, होटल, स्कूल सब बंद रहेंगे
कोरोना के संक्रमण को देखते हुए देश में 2 चरणों में 40 दिनों का लॉकडाउन लगाया गया जो 3 मई को खत्म हो रहा था. लेकिन इसके खत्म होने से 2 दिन पहले ही गृह मंत्रालय ने 2 और हफ्ते यानी 17 मई तक लॉकडाउन को बढ़ाने का ऐलान कर दिया है. हालांकि लॉकडाउन को चरणबद्ध तरीके से खोला भी जा रहा है. 
रेल-मेट्रो-हवाई सेवा, सब बंद
गृह मंत्रालय ने शुक्रवार शाम को 2 और हफ्ते के लिए तीसरी बार लॉकडाउन बढ़ा दिया है. लॉकडाउन बढ़ने से अब 17 मई तक देश में रेल, मेट्रो और हवाई सेवा बंद रहेगी. तो स्कूल, कॉलेज और शिक्षण संस्थान भी नहीं खुलेंगे. साथ ही होटल और रेस्टोरेंट भी बंद रहेंगे. धार्मिक स्थल भी बंद रहेंगे. 17 मई तक मॉल, जिम और सिनेमा हॉल भी बंद रहेंगे.
हालांकि लॉकडाउन बढ़ाने के साथ-साथ चरणबद्ध तरीके से छूट भी दी गई है. गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार रेड जोन की तुलना में ग्रीन और ऑरेंज जोन में पड़ने वाले जिलों में थोड़ी राहत दी गई है.
रेड जोन वाले क्षेत्रों के स्थानीय अधिकारियों को कहा गया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि क्षेत्र के कंटेनमेंट जोन के सभी निवासियों के पास आरोग्य सेतु एप डाउनलोड हो. कंटेनमेंट जोन में एप के जरिए सभी पर निगरानी रखी जा सकेगी. कंटेनमेंट जोन में किसी तरह की कोई गतिविधि नहीं होगी.
साथ ही चिकित्सा आपात स्थिति को छोड़कर और आवश्यक वस्तुओं तथा सेवाओं की आपूर्ति बनाए रखने के लिए इन जोन के भीतर और बाहर लोगों की आवाजाही नहीं होगी.

सभी जोन में हवाई, रेल, मेट्रो और सड़क मार्ग द्वारा अंतर-राज्यीय आवागमन बंद रहेगा. साथ ही स्कूलों, कॉलेजों, और अन्य शैक्षिक और प्रशिक्षण/कोचिंग संस्थानों का संचालन; होटल और रेस्तरां; सार्वजनिक समारोह, सिनेमा हॉल, मॉल, जिम, स्पोटर्स कॉम्प्लेक्स आदि बंद रहेंगे.
इसके अलावा सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और अन्य प्रकार की सभाओं के साथ-साथ धार्मिक स्थलों भी बंद रहेंगे. विशेष परिस्थितियों में और गृह मंत्रालय की अनुमति पर ही हवाई, रेल और सड़क मार्ग से जाने की अनुमति दी जाएगी.



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CONSTITUTION OF INDIA

CONSTITUTION OF INDIA
                       

National honour – Indian Ekta




 किस अनुच्‍छेद में क्‍या है- चलिये जानते है-

अनुच्छेद 1 :- संघ का नाम और राज्य क्षेत्र
अनुच्छेद 2 :- नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना
अनुच्छेद 3 :- राज्य का निर्माण तथा सीमाओं या नामों मे परिवर्तन
अनुच्छेद 4 :- पहली अनुसूचित व चौथी अनुसूची के संशोधन तथा दो और तीन के अधीन बनाई गई विधियां
अनुच्छेद 5 :- संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता
अनुच्छेद 6 :- भारत आने वाले व्यक्तियों को नागरिकता
अनुच्छेद 7 :-पाकिस्तान जाने वालों को नागरिकता
अनुच्छेद 8 :- भारत के बाहर रहने वाले व्यक्तियों का नागरिकता
अनुच्छेद 9 :- विदेशी राज्य की नागरिकता लेने पर नागरिकता का ना होना
अनुच्छेद 10 :- नागरिकता के अधिकारों का बना रहना
अनुच्छेद 11 :- संसद द्वारा नागरिकता के लिए कानून का विनियमन
अनुच्छेद 12 :- राज्य की परिभाषा
अनुच्छेद 13 :- मूल अधिकारों को असंगत या अल्पीकरण करने वाली विधियां
अनुच्छेद 14 :- विधि के समक्ष समानता
अनुच्छेद 15 :- धर्म जाति लिंग पर भेद का प्रतिशेध
अनुच्छेद 16 :- लोक नियोजन में अवसर की समानता
अनुच्छेद 17 :- अस्पृश्यता का अंत
अनुच्छेद 18 :- उपाधीयों का अंत
अनुच्छेद 19 :- वाक् की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 20 :- अपराधों के दोष सिद्धि के संबंध में संरक्षण
अनुच्छेद 21 :-प्राण और दैहिक स्वतंत्रता
अनुच्छेद 21 क :- 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा का अधिकार
अनुच्छेद 22 :- कुछ दशाओं में गिरफ्तारी से सरंक्षण
अनुच्छेद 23 :- मानव के दुर्व्यापार और बाल आश्रम
अनुच्छेद 24 :- कारखानों में बालक का नियोजन का प्रतिशत
अनुच्छेद 25 :- धर्म का आचरण और प्रचार की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 26 :-धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 29 :- अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण
अनुच्छेद 30 :- शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार
अनुच्छेद 32 :- अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए उपचार
अनुच्छेद 36 :- परिभाषा
अनुच्छेद 40 :- ग्राम पंचायतों का संगठन
अनुच्छेद 48 :- कृषि और पशुपालन संगठन
अनुच्छेद 48क :- पर्यावरण वन तथा वन्य जीवों की रक्षा
अनुच्छेद 49:- राष्ट्रीय स्मारक स्थानों और वस्तुओं का संरक्षण
अनुछेद. 50 :- कार्यपालिका से न्यायपालिका का प्रथक्करण
अनुच्छेद 51 :- अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा
अनुच्छेद 51क :- मूल कर्तव्य
अनुच्छेद 52 :- भारत का राष्ट्रपति
अनुच्छेद 53 :- संघ की कार्यपालिका शक्ति
अनुच्छेद 54 :- राष्ट्रपति का निर्वाचन
अनुच्छेद 55 :- राष्ट्रपति के निर्वाचन की रीती
अनुच्छेद 56 :- राष्ट्रपति की पदावधि
अनुच्छेद 57 :- पुनर्निर्वाचन के लिए पात्रता
अनुच्छेद 58 :- राष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिए आहर्ताए
अनुच्छेद 59 :- राष्ट्रपति पद के लिए शर्ते
अनुच्छेद 60 :- राष्ट्रपति की शपथ
अनुच्छेद 61 :- राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया
अनुच्छेद 62 :- राष्ट्रपति पद पर व्यक्ति को भरने के लिए निर्वाचन का समय और रीतियां
अनुच्छेद 63 :- भारत का उपराष्ट्रपति
अनुच्छेद 64 :- उपराष्ट्रपति का राज्यसभा का पदेन सभापति होना
अनुच्छेद 65 :- राष्ट्रपति के पद की रिक्त पर उप राष्ट्रपति के कार्य
अनुच्छेद 66 :- उप-राष्ट्रपति का निर्वाचन
अनुच्छेद 67 :- उपराष्ट्रपति की पदावधि
अनुच्छेद 68 :- उप राष्ट्रपति के पद की रिक्त पद भरने के लिए निर्वाचन
अनुच्छेद69 :- उप राष्ट्रपति द्वारा शपथ
अनुच्छेद 70 :- अन्य आकस्मिकता में राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन
अनुच्छेद 71. :- राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन संबंधित विषय
अनुच्छेद 72 :-क्षमादान की शक्ति
अनुच्छेद 73 :- संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार
अनुच्छेद 74 :- राष्ट्रपति को सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद
अनुच्छेद 75 :- मंत्रियों के बारे में उपबंध
अनुच्छेद 76 :- भारत का महान्यायवादी
अनुच्छेद 77 :- भारत सरकार के कार्य का संचालन
अनुच्छेद 78 :- राष्ट्रपति को जानकारी देने के प्रधानमंत्री के कर्तव्य
अनुच्छेद 79 :- संसद का गठन
अनुच्छेद 80 :- राज्य सभा की सरंचना
अनुच्छेद 81 :- लोकसभा की संरचना
अनुच्छेद 83 :- संसद के सदनो की अवधि
अनुच्छेद 84 :-संसद के सदस्यों के लिए अहर्ता
अनुच्छेद 85 :- संसद का सत्र सत्रावसान और विघटन
अनुच्छेद 87 :- राष्ट्रपति का विशेष अभी भाषण
अनुच्छेद 88 :- सदनों के बारे में मंत्रियों और महानयायवादी अधिकार
अनुच्छेद 89 :-राज्यसभा का सभापति और उपसभापति
अनुच्छेद 90 :- उपसभापति का पद रिक्त होना या पद हटाया जाना
अनुच्छेद 91 :-सभापति के कर्तव्यों का पालन और शक्ति
अनुच्छेद 92 :- सभापति या उपसभापति को पद से हटाने का
संकल्प विचाराधीन हो तब उसका पीठासीन ना होना
अनुच्छेद 93 :- लोकसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
अनुचित 94 :- अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना
अनुच्छेद 95 :- अध्यक्ष में कर्तव्य एवं शक्तियां
अनुच्छेद 96 :- अध्यक्ष उपाध्यक्ष को पद से हटाने का संकल्प हो तब उसका पीठासीन ना होना
अनुच्छेद 97 :- सभापति उपसभापति तथा अध्यक्ष,उपाध्यक्ष के वेतन और भत्ते
अनुच्छेद 98 :- संसद का सविचालय
अनुच्छेद 99 :- सदस्य द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
अनुच्छेद 100 - संसाधनों में मतदान रिक्तियां के होते हुए भी
सदनों के कार्य करने की शक्ति और गणपूर्ति
अनुच्छेद 108* :- कुछ दशाओं में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक
अनुत्छेद 109 :- धन विधेयक के संबंध में विशेष प्रक्रिया
अनुच्छेद 110 :- धन विधायक की परिभाषा
अनुच्छेद 111 :- विधेयकों पर अनुमति
अनुच्छेद 112 :- वार्षिक वित्तीय विवरण
अनुच्छेद 118 :- प्रक्रिया के नियम
अनुच्छेद 120 :- संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा
अनुच्छेद 123 :- संसद विश्रांति काल में राष्ट्रपति की अध्यादेश शक्ति
अनुच्छेद 124 :- उच्चतम न्यायालय की स्थापना और गठन
अनुच्छेद 125 :- न्यायाधीशों का वेतन
अनुच्छेद 126 :- कार्य कार्य मुख्य न्याय मूर्ति की नियुक्ति
अनुच्छेद 127 :- तदर्थ न्यायमूर्तियों की नियुक्ति
अनुच्छेद 128 :- सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की उपस्थिति
अनुच्छेद 129 :- उच्चतम न्यायालय का अभिलेख नयायालय होना
अनुच्छेद 130 :- उच्चतम न्यायालय का स्थान
अनुच्छेद 131 :- उच्चतम न्यायालय की आरंभिक अधिकारिता
अनुच्छेद 137 :- निर्णय एवं आदेशों का पुनर्विलोकन
अनुच्छेद 143 :- उच्चतम न्यायालय से परामर्श करने की राष्ट्रपति की शक्ति
अनुच्छेद144 :-सिविल एवं न्यायिक पदाधिकारियों द्वारा उच्चतम न्यायालय की सहायता
अनुच्छेद 148 :- भारत का नियंत्रक महालेखा परीक्षक
अनुच्छेद 149 :- नियंत्रक महालेखा परीक्षक के कर्तव्य शक्तिया
अनुच्छेद 150 :- संघ के राज्यों के लेखन का प्रारूप
अनुच्छेद 153 :- राज्यों के राज्यपाल
अनुच्छेद 154 :- राज्य की कार्यपालिका शक्ति
अनुच्छेद 155 :- राज्यपाल की नियुक्ति
अनुच्छेद 156 :- राज्यपाल की पदावधि
अनुच्छेद 157 :- राज्यपाल नियुक्त होने की अर्हताएँ
अनुच्छेद 158 :- राज्यपाल के पद के लिए शर्तें
अनुच्छेद 159 :- राज्यपाल द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
अनुच्छेद 163 :- राज्यपाल को सलाह देने के लिए मंत्री परिषद
अनुच्छेद 164 :- मंत्रियों के बारे में अन्य उपबंध
अनुच्छेद 165 :- राज्य का महाधिवक्ता
अनुच्छेद 166 :- राज्य सरकार का संचालन
अनुच्छेद 167 :- राज्यपाल को जानकारी देने के संबंध में मुख्यमंत्री के कर्तव्य
अनुच्छेद 168 :- राज्य के विधान मंडल का गठन
अनुच्छेद 170 :- विधानसभाओं की संरचना
अनुच्छेद 171 :- विधान परिषद की संरचना
अनुच्छेद 172 :- राज्यों के विधानमंडल कि अवधी
अनुच्छेद 176 :- राज्यपाल का विशेष अभिभाषण
अनुच्छेद 177 सदनों के बारे में मंत्रियों और महाधिवक्ता के अधिकार
अनुच्छेद 178 :- विधानसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
अनुच्छेद 179 :- अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना या पद से हटाया जाना
अनुच्छेद 180 :- अध्यक्ष के पदों के कार्य व शक्ति
अनुच्छेद 181 :- अध्यक्ष उपाध्यक्ष को पद से हटाने का कोई
संकल्प पारित होने पर उसका पिठासिन ना होना
अनुच्छेद 182 :- विधान परिषद का सभापति और उपसभापति
अनुच्छेद 183 :- सभापति और उपासभापति का पद रिक्त होना पद त्याग या पद से हटाया जाना
अनुच्छेद 184 :- सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन व शक्ति
अनुच्छेद 185 :- संभापति उपसभापति को पद से हटाए जाने का संकल्प विचाराधीन होने पर उसका पीठासीन ना होना
अनुच्छेद 186 :- अध्यक्ष उपाध्यक्ष सभापति और उपसभापति के वेतन और भत्ते
अनुच्छेद 187 :- राज्य के विधान मंडल का सविचाल.
अनुच्छेद 188 :- सदस्यों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
अनुच्छेद 189 :- सदनों में मतदान रिक्तियां होते हुए भी साधनों का कार्य करने की शक्ति और गणपूर्ति
अनुच्छेद 199 :- धन विदेश की परिभाषा
अनुच्छेद 200 :- विधायकों पर अनुमति
अनुच्छेद 202 :- वार्षिक वित्तीय विवरण
अनुच्छेद 213 :- विधनमंडल में अध्यादेश सत्यापित करने के राज्यपाल की शक्ति
अनुच्छेद 214 :- राज्यों के लिए उच्च न्यायालय
अनुच्छेद 215 :- उच्च न्यायालयों का अभिलेख न्यायालय होना
अनुच्छेद 216 :- उच्च न्यायालय का गठन
अनुच्छेद 217 :- उच्च न्यायालय न्यायाधीश की नियुक्ति पद्धति शर्तें
अनुच्छेद 221 :- न्यायाधीशों का वेतन
अनुच्छेद 222 :- एक न्यायालय से दूसरे न्यायालय में न्यायाधीशों का अंतरण
अनुच्छेद 223 :- कार्यकारी मुख्य न्याय मूर्ति के नियुक्ति
अनुच्छेद 224 :- अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति
अनुच्छेद 226 :- कुछ रिट निकालने के लिए उच्च न्यायालय की शक्ति
अनुच्छेद 231 :- दो या अधिक राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय की स्थापना
अनुच्छेद 233 :- जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति



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कोरोना लॉकडाउन 2

कोरोना लॉकडाउन: सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों को नहीं दी राहत, कहा-कल आर्किटेक्ट आएंगे, परसो इंजीनियर

 suprem court

सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन के कारण वकीलों को आर्थिक मदद और चैम्बर किराये में छूट संबंधी दो अलग-अलग याचिकाओं पर कोई आदेश जारी करने यह कहते हुए गुरुवार को इन्कार कर दिया कि जब पूरा देश ही कठिन दौर से गुजर रहा है तो वह वकीलों के लिए विशेष फंड बनाने का आदेश कैसे दे सकता है? 
न्यायमूर्ति एन वी रमन, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बी आर गवई की खंडपीठ ने दो याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई करते हुए कहा कि पूरा देश ही कठिन दौर से गुजर रहा है, फिर वह वकीलों के लिए विशेष कोष बनाने का आदेश कैसे सकती है? 
उन्होंने कहा, “पूरा देश आर्थिक तंगी से गुज रहा है, ऐसे में वकीलों को छूट कैसे दे दें? हमारे पास वकीलों को देने के लिए खुद का फंड भी नहीं है। वकीलों के हितों की रक्षा के लिए विधिज्ञ परिषद है, लेकिन हम उसे इस संबंध में कोई आदेश नहीं दे सकते।”
याचिकाकर्ता पवन प्रकाश पाठक की दलील थी कि लॉकडाउन में काम न होने के कारण बहुत से नए वकील आर्थिक परेशानी का सामना कर रहे  हैं। ऐसे वकीलों की आर्थिक मदद के लिए फंड बनाने का आदेश जारी किया जाए, लेकिन न्यायमूर्ति रनम ने कोई भी आदेश जारी करने से इन्कार कर दिया। 
दूसरी याचिका सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की थी, जिसकी दलील थी कि लॉकडाउन की वजह से वकीलों की कमाई नहीं हो रही। इसलिए उन्हें चैम्बर का किराया लॉकडाउन की अवधि में देने से छूट प्रदान की जाए। एक वकील तभी किराया दे सकता है, जब वह खुद काम करके कमाए। न्यायालय ने यह मांग भी यह कहते हुए खारिज कर दी, “वकीलों को कोई विशेष छूट कोर्ट नहीं दे सकता। आज आप आए हैं, कल आर्किटेक्ट भी ऐसी मांग लेकर कोर्ट में आ जाएंगें। परसों इंजीनियर भी सुप्रीम कोर्ट आ जाएंगे। देश के सभी तबके इन दिनों प्रभावित हैं।” 
न्यायमूर्ति रमन ने कहा, “कई मामलों में बुजुर्ग मकान मालिक भी किराये पर निर्भर करता है। लॉकडाउन के कारण किराए पर रहने वाले देश के बहुत से लोग परेशान है तो वकीलों को विशेष छूट क्यों दें? कोर्ट वकीलों को विशेष या अलग कैटेगरी में नहीं रख सकता।” बाद में याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली।

 

केन्द्र ने राज्यों से कहा

केन्द्र ने राज्यों से कहा, आपूर्ति बरकरार रखने के लिए ट्रकों की मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करें

 ensure free movement of trucks to maintain supplies  centre tells states  file pic

केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने गुरुवार को सभी राज्यों से कहा है कि वे कोरोना लॉकडाउन के बीच ट्रकों व माल लेकर जा रही गाड़ियों की मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करे ताकि देश में वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति बरकरार रहे। केन्द्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने राज्यों के मुख्य सचिवों को लिखे पत्र में ट्रैफिक आवाजाही के मंत्रालय के पहले के आदेश का हवाला दिया है।
भल्ला ने लिखा, “राज्य के कई हिस्सों में अंतरराज्यीय सीमा पर ट्रकों की आवाजाही की इजाजत नहीं दी जा रही है और स्थानीय अथॉरिटीज की तरफ से उनसे अलग से पास मांगा जा रहा है जबकि सड़क पर जा रहे खाली या सामानों से भरे ट्रकों को किसी तरह को कोई अन्य पास की जरूरत नहीं है। लॉकडाउन के दौरान वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति बहाल रखने के लिए यह आवश्यक है।”
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्वीट करते हुए कहा, “ट्रकों व माल ढुलाई की गाड़ियां में जिनमें खाली ट्रक में शामिल हैं, इनकी मुक्त आवाजाही सुनिश्चित हो। स्थानीय अथॉरिटीज देशभर के अंतरराज्यीय सीमा पर अलग पास की मांग पर जोर न दें। देश में वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति बरकरार रखने के लिए यह आवश्यक है।”

ये भी पढ़ें: 'कोरोना के मद्देनजर भारत से 60 हजार विदेशी नागरिकों को वापस भेजा गया'

15 अप्रैल के गृह मंत्रालय के आदेश में कहा गया था, “सभी ट्रकों और अन्य माल गाड़ियों की आवाजाही जिनमें 2 ड्राईवर और एक हेल्पर हो और ड्राईवर के पास मान्य लाइसेंस हो। इनमें खाली ट्रक/गाड़ियां भी शामिल हैं उन्हें आने जाने की इजात है वो चाहे सामान की ढुलाई कर वापस आ रही हो या फिर लेने जा रही हो।”
मंगलवार को गृह मंत्रालय ने कहा था कि लॉकडाउन के खत्म होने के एक दिन बार 4 अप्रैल से वे कई और रियायतें देना का ऐलान करेंगे। गौरतलब है कि अंतरराज्यीय ट्रैफिक मूवमेंट बंद है। कुछ राज्यों ने कोरोना को रोके के लिए पूरी तरह से बॉर्डर को सील कर रखा है, जिसकी वजह से इस तरह की दिक्कतें आ रही हैं।







केन्द्र की नई गाइडलाइन

केन्द्र की नई गाइडलाइन से क्या सभी प्रवासियों को मिल गई है यात्रा की इजाजत?

bihar cm nitish kumar thanks narendra modi government uttarakhand jharkhand planning for migrant wor

सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन के कारण वकीलों को आर्थिक मदद और चैम्बर किराये में छूट संबंधी दो अलग-अलग याचिकाओं पर कोई आदेश जारी करने यह कहते हुए गुरुवार को इन्कार कर दिया कि जब पूरा देश ही कठिन दौर से गुजर रहा है तो वह वकीलों के लिए विशेष फंड बनाने का आदेश कैसे दे सकता है? 
न्यायमूर्ति एन वी रमन, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बी आर गवई की खंडपीठ ने दो याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई करते हुए कहा कि पूरा देश ही कठिन दौर से गुजर रहा है, फिर वह वकीलों के लिए विशेष कोष बनाने का आदेश कैसे सकती है? 
उन्होंने कहा, “पूरा देश आर्थिक तंगी से गुज रहा है, ऐसे में वकीलों को छूट कैसे दे दें? हमारे पास वकीलों को देने के लिए खुद का फंड भी नहीं है। वकीलों के हितों की रक्षा के लिए विधिज्ञ परिषद है, लेकिन हम उसे इस संबंध में कोई आदेश नहीं दे सकते।”
याचिकाकर्ता पवन प्रकाश पाठक की दलील थी कि लॉकडाउन में काम न होने के कारण बहुत से नए वकील आर्थिक परेशानी का सामना कर रहे  हैं। ऐसे वकीलों की आर्थिक मदद के लिए फंड बनाने का आदेश जारी किया जाए, लेकिन न्यायमूर्ति रनम ने कोई भी आदेश जारी करने से इन्कार कर दिया। 
दूसरी याचिका सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की थी, जिसकी दलील थी कि लॉकडाउन की वजह से वकीलों की कमाई नहीं हो रही। इसलिए उन्हें चैम्बर का किराया लॉकडाउन की अवधि में देने से छूट प्रदान की जाए। एक वकील तभी किराया दे सकता है, जब वह खुद काम करके कमाए। न्यायालय ने यह मांग भी यह कहते हुए खारिज कर दी, “वकीलों को कोई विशेष छूट कोर्ट नहीं दे सकता। आज आप आए हैं, कल आर्किटेक्ट भी ऐसी मांग लेकर कोर्ट में आ जाएंगें। परसों इंजीनियर भी सुप्रीम कोर्ट आ जाएंगे। देश के सभी तबके इन दिनों प्रभावित हैं।” 
न्यायमूर्ति रमन ने कहा, “कई मामलों में बुजुर्ग मकान मालिक भी किराये पर निर्भर करता है। लॉकडाउन के कारण किराए पर रहने वाले देश के बहुत से लोग परेशान है तो वकीलों को विशेष छूट क्यों दें? कोर्ट वकीलों को विशेष या अलग कैटेगरी में नहीं रख सकता।” बाद में याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली।

 

कोरोना संकट:

कोरोना संकट: बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल ने बढ़ाई चिंता, खतरनाक जोन के रूप में उभर सकते हैं तीनों राज्य

bihar jharkhand and west bengal likely to be in danger zone of coronavirus  maharashtra and gujrat h

भारत में भले ही महाराष्ट्र और गुजरात में कोरोना संक्रमण के तेजी से बढ़ते मामलों की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, लेकिन एक कंप्यूटर मॉडल से किए गए हालिया विश्लेषण से पता चला है कि बिहार, झारखंड व पश्चिम बंगाल जैसे राज्य भी आने वाले दिनों में खतरनाक जोन के रूप में उभर सकते हैं।
चेन्नई स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आईएमएससी) ने चेताया है कि बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में 29 अप्रैल तक कुल संक्रमितों की संख्या 1,200 से भी कम थी। हालांकि, ‘रिप्रोडक्शन नंबर’ के आधार पर देखें तो बीते कुछ दिनों में तीनों राज्यों में कोरोना के मरीज सबसे तेजी से बढ़े हैं। ‘रिप्रोडक्शन नंबर’ किसी संक्रमित के संपर्क में आने के बाद वायरस के शिकार हुए औसत मरीजों की संख्या दर्शाता है।
अभी तीनों राज्यों में 4 प्रतिशत से कम संक्रमित
बुधवार तक पश्चिम बंगाल में कोरोना के 696, बिहार में 383 और झारखंड में 107 पुष्ट मामले दर्ज किए गए थे। भारत में कुल संक्रमितों में तीनों राज्यों की हिस्सेदारी चार फीसदी से भी कम थी।
40 प्रतिशत से ज्यादा मामले महाराष्ट्र और गुजरात में
महाराष्ट्र में बुधवार तक कोरोना से संक्रमित 9,915 मरीज सामने आ चुके थे। गुजरात में यह संख्या 4,082 थी। इस हिसाब से दोनों राज्यों की कुल संक्रमण में हिस्सेदारी 40 फीसदी से भी ज्यादा थी।
पश्चिम बंगाल को लेकर सबसे ज्यादा चिंता
आईएमएससी के सीताभ्र सिन्हा ने कहा, मार्च के अंत में पश्चिम बंगाल में कोरोना के मामले थमते नजर आ रहे थे, लेकिन अब राज्य महाराष्ट्र की राह पर बढ़ता नजर आ रहा है। बड़े राज्यों में संक्रमितों की संख्या दोगुनी होने की सबसे तेज दर पश्चिम बंगाल में ही है।
बिहार में सबसे ज्यादा ‘रिप्रोडक्शन नंबर’
सिन्हा के मुताबिक लॉकडाउन से पहले देश में कोरोना का ‘रिप्रोडक्शन नंबर’ 1.83 था। 20 से 27 अप्रैल के बीच की अवधि में यह घटकर 1.29 पर पहुंच गया। बिहार में रिप्रोडक्शन दर 2.03, झारखंड में 1.87, पश्चिम बंगाल में 1.52, महाराष्ट्र में 1.5 और गुजरात में 1.38 है।
तीन शहरों में सबसे ज्यादा कहर
महाराष्ट्र में कुल संक्रमण में 66 प्रतिशत और कुल मौतों में 61 प्रतिशत हिस्सेदारी मुंबई की है। गुजरात में फिलहाल दर्ज 67 प्रतिशत संक्रमित और 71 प्रतिशत मौतें अहमदाबाद में हुई है। मध्य प्रदेश में अब तक मिले 57.5 प्रतिशत मरीज इंदौर के हैं। राज्य में 52.4 प्रतिशत मौतें भी यहीं हुईं।
हिमालयी राज्यों में कम प्रकोप
उत्तराखंड में बुधवार तक कोरोना के 758 मरीज मिले थे, जिनमें से 124 ठीक होकर घर लौट चुके हैं, जबकि 22 की मौत हो गई है। वहीं, जम्मू-कश्मीर में वायरस की जद में आए मरीजों की संख्या 581 और हिमाचल प्रदेश में 40 है। दोनों जगहों पर संक्रमण से उबरने वाले मरीजों की तादाद क्रमश 192 और 25 है। वहीं, मौतों की बात करें तो जम्मू-कश्मीर में आठ, जबकि हिमाचल प्रदेश में एक शख्स ने कोरोना के चलते दम तोड़ा।