Uttarakhand Lockdown: ऑनलाइन पढ़ाई पर नहीं क्लासरूम जैसा एतबार, अभिभावकों की बढ़ गई जिम्मेदारी


सार
  •     ज्यादातर अभिभावकों के अनुसार ऑनलाइन पढ़ाई से बढ़ गई उनकी जिम्मेदारी
  •     सरकार की सख्ती के बाद फीस के लिए दबाव नहीं डाल रहे प्राइवेट स्कूल

विस्तार
लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद रहने से बच्चों की पढ़ाई पर असर ना पड़े इसलिए कई प्राइवेट और सरकारी स्कूलों ने ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की है। इसमें बच्चों का कोर्स पूरा कराने के साथ ही डाउट भी क्लियर कराए जा रहे हैं। लेकिन अभिभावकों को यह व्यवस्था बहुत ज्यादा रास नहीं आ रही है।
ज्यादातर अभिभावक इसे  खुद के लिए एक नई परेशानी मान रहे हैं। उनका कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर अभिभावकों पर ही पढ़ाने का जिम्मा डाल दिया गया है। इसमें शिक्षकों के पास भी इतना वक्त नहीं रह गया कि वह हर बच्चे से अलग-अलग बात कर सकें। इसके अलावा उन अभिभावकों के सामने भी दिक्कत है, जिनके एक से ज्यादा बच्चे हैं।

कुछ अभिभावकों का कहना है कि उनका पूरा दिन बच्चे का होमवर्क कराने में ही गुजर जा रहा है। दूसरी ओर, सरकार की सख्ती के बाद प्राइवेट स्कूल फीस के लिए फिलहाल दबाव नहीं बना रहे हैं। इससे अभिभावकों को कुछ राहत मिली है। इस मुद्दे पर अमर उजाला ने कुछ अभिभावकों से बातचीत की।


कुछ छोटे स्कूलों ने भी मोबाइल ऐप बनाये
 
         बड़े स्कूलों की तर्ज पर कुछ छोटे स्कूलों ने भी मोबाइल ऐप बनाये हैं। लेकिन, ये बच्चों के लिए ज्यादा कारगर साबित नहीं हो रहे हैं। बच्चों को इनसे बहुत ज्यादा हेल्प नहीं मिल रही है। बंजारावाला निवासी सोनिका मिश्रा की बेटी कक्षा एक में पढ़ती है। उन्होंने बताया कि स्कूल ने ऐप बनाया, जिसे उन्होंने डाउनलोड भी कर लिया। लेकिन, इससे कोई फायदा नहीं हुआ।

अब टीचर एक अध्याय विशेष की वीडियो बनाकर व्हाट्सएप पर शेयर करती है। ताकि, इसे देखकर सभी अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ा सकें। अब सवाल ये कि वीडियो भेजना था तो ऐप बनाने की जरूरत क्या है। और अगर अभिभावकों को ही सब काम कराने हैं तो वीडियो बनाकर शेयर कर अपना और हमारा इंटरनेट डाटा क्यों खत्म किया जा रहा है।

स्कूल में एक ऐप उपलब्ध कराया है जिस पर होमवर्क प्रैक्टिस शीट, वर्कशीट सब कुछ भेजी जाती है। टीचर ऑनलाइन वीडियो के जरिए भी बच्चों को समझाने की कोशिश करते हैं। उसके बाद भी अगर कोई दिक्कत रहे तो सीधे फोन पर भी बात कर सकते हैं। लेकिन घर पर स्कूल जैसा माहौल नहीं बन पा रहा है। बच्चे घर पर बहुत ज्यादा पढ़ने को तैयार नहीं होते। - राजेश कुकरेती, नेहरू कॉलोनी

मेरे दो बच्चे राजाराम मोहन राय एकेडमी में पढ़ते हैं। स्कूल टीचर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बच्चों को क्लास दे रही हैं। लेकिन, अधिक बच्चों से कनेक्टिविटी से सर्वर पर लोड होने के कारण तकनीकी दिक्कतें आती रहती हैं। कई बार टीचर की बात समझने में भी दिक्कत आती है।
- मनमोहन जायसवाल, लक्खीबाग
 
व्हाट्सएप पर होमवर्क
स्कूल वाले ऑनलाइन के नाम पर व्हाट्सएप पर होमवर्क भेज देते हैं। पेरेंट्स को बच्चों का होमवर्क कराकर भेजना होता है। ऑनलाइन के नाम पर पेरेंट्स पर ही पढ़ाने का दबाव डाला जा रहा है। टीचर के पास इतना समय नहीं है कि वह हर बच्चे से अलग-अलग बात कर सके। इसलिए ज्यादातर सिर्फ एक वीडियो बनाकर भेज दिया जाता है। इससे बहुत ज्यादा फायदा नहीं लगता। - विनोद रावत, विद्या विहार

स्कूल ने हमें मोबाइल ऐप दिया है, जिस पर रोजाना प्रैक्टिस के लिए काम भी मिलता है। लेकिन हमारे दो बच्चे हैं और मोबाइल एक। ऐसे में दोनों बच्चों को पढ़ाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। इससे अभिभावकों की परेशानी बढ़ गई है। हमारे जैसे अभिभावकों को पहले एक बच्चे का काम खत्म कराना होता है फिर दूसरे बच्चे का। फीस के लिए स्कूल ने अब तक नहीं बोला है। - ममता, प्रेमनगर

लॉकडाउन के दौरान बच्चों की पढ़ाई प्रभावित ना हो इसलिए ऑनलाइन पढ़ाई का विकल्प अच्छा है। प्राइवेट स्कूलों के साथ ही सरकारी में भी हमने ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की है। हमारी कोशिश है कि बच्चे घर पर रहते हुए भी अपने कोर्स से जुड़े हुए रहें। दूसरी ओर फीस को लेकर पहले ही आदेश जारी किए जा चुके हैं। सभी स्कूलों को कहा गया है कि वह लॉकडाउन के दौरान किसी भी अभिभावक को फीस जमा कराने के लिए मजबूर ना करें। लॉकडाउन के बाद स्थिति सामान्य होने पर ही स्कूल फीस ले सकेंगे। फीस के लिए दबाव बनाने वाले स्कूलों पर कार्रवाई की जाएगी। - आशारानी पैन्यूली, मुख्य शिक्षा अधिकारी, देहरादून



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