उत्तर प्रदेश: न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने मुख्य न्यायाधीश को लिखा पत्र, कहा- न्यायपालिका के वेतन से भी हो कटौती
जस्टिस अग्रवाल ने अपने पत्र में कहा है कि वैश्विक महामारी कोरोना के कारण देश में आपातकाल जैसे हालात है। पूरा देश पिछले एक माह से लॉक डाउन में है। यह कोई नहीं जानता की हालत कब सामान्य होंगे।
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इलाहाबाद. इलाहाबाद हाईकोर्ट के
वरिष्ठ न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने कहा है कि कोरोना महामारी की वजह से
पैदा हुए हालात में देश आर्थिक संकट से जूझ रहा है। कार्यपालिका ने
सांसदों, विधायकों के वेतन से 30 फीसदी की कटौती की है। ऐसे में उच्च
न्यायपालिका (हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट) को भी इस दिशा में कदम उठाने
चाहिए।
उन्होंने इसको लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य
न्यायाधीश गोविंद माथुर को पत्र भी लिखा है। उन्होंने पत्र में जजों के
वेतन से एक साल तक 10 प्रतिशत एवं पेंशन से 5 प्रतिशत प्रति माह की कटौती
कराने का सुझाव दिया है। और अपेक्षा की है कि सुपीरियर कोर्ट इस मुद्दे पर
विचार करेगी।
उन्होंने इस सुझाव को राष्ट्रपति
एवं भारत के मुख्य न्यायाधीश को विचार के लिए भेजे जाने का भी अनुरोध किया
गया है। जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं से भी अनुरोध किया है
कि वह कम से कम एक साल तक हर महीने 50 हजार रुपये सरकार को सहायता दें ताकि
इस दैवीय, प्राकृतिक आपदा से निपटने में न्यायपालिका की तरफ से भी देश की
कुछ मदद की जा सके।
जस्टिस अग्रवाल ने अपने पत्र में कहा है कि वैश्विक
महामारी कोरोना के कारण देश में आपातकाल जैसे हालात है। पूरा देश पिछले
एक माह से लॉक डाउन में है। यह कोई नहीं जानता की हालत कब सामान्य होंगे।
भारत सरकार और न्यायपालिका के प्रमुख दोनों ही इस समय आर्थिक तंगी का सामना
कर रहे। प्रधानमंत्री ने आम नागरिकों से आर्थिक सहयोग मांगा है। इसमें
उत्तर प्रदेश की न्यायिक संस्थाएं भी पीछे नहीं रही है। प्रदेश की
न्यायपालिका ने सम्मान पूर्वक आर्थिक योगदान दिया है। लोग भी स्वेच्छा से
मदद को सामने आ रहे हैं।
जस्टिस अग्रवाल का कहना है कि देश की विधायिका के
लोग भी स्वतः आगे आए हैं और मंत्रियों तथा सांसदों ने अपने वेतन में एक साल
तक 30 प्रतिशत की कटौती की है किन्तु अब तक न्यायपालिका की ओर से कुछ
नहीं किया गया है। जस्टिस अग्रवाल का कहना है कि उच्च न्यायपालिका के
कार्यरत जजों को तीस प्रतिशत न सही, कम से कम अपने वेतन से 10 प्रतिशत और 5
प्रतिशत रिटायर्ड जजों के पेंशन से एक साल तक कटौती करके सरकार को देने की
पेशकश करनी चाहिए।