कोरोना: लॉकडाउन से मुसीबत में सुंदरबन के द्वीपों पर रहने वाले
एक तरफ़ कुआं और दूसरी तरफ़ खाई वाली कहावत तो बहुत पुरानी है. लेकिन
कोरोना की वजह से जारी देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान यह कहावत पश्चिम बंगाल
के सुंदरबन इलाक़े के लोगों पर एक बार फिर चरितार्थ हो रही है.
लॉकडाउन
के दौरान घरों में बंद रहने की वजह से उनकी कमाई ठप हो गई है. लेकिन घरों
से निकल कर जंगल के भीतर जाने पर जान का ख़तरा है. वैसे भी वन विभाग ने इस
साल जंगल के भीतर प्रवेश के लिए ज़रूरी परमिट पर पाबंदी लगा दी है.
पश्चिम
बंगाल में बांग्लादेश सीमा से सटा सुंदरबन इलाक़ा अपनी जैविक विविधता और
मैंग्रोव के जंगल के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. यह दुनिया में रॉयल
बंगाल टाइगर का सबसे बड़ा घर भी है. इलाक़े के 54 द्वीपों पर इंसानी
बस्तियां हैं. कोरोना के डर से इनमें से कई द्वीपों ने ख़ुद को मुख्यभूमि
से काट लिया है.
वैसे इन द्वीपों की भौगोलिक स्थिति ही अब तक इनके
लिए रक्षा कवच बनी है. बाहर से अब कोई वहां पहुंच नहीं रहा है. पहले जो लोग
देश के विभिन्न हिस्सों से आए थे उनको भी जाँच के बाद 14 दिनों के लिए
क्वारंटीन में रहना पड़ा था.
इन द्वीपों पर रहने वाले लोग मुख्य रूप
से खेती, मछली पकड़ने और जंगल से शहद एकत्र कर अपनी आजीविका चलाते हैं.
लॉकडाउन की वजह से वन विभाग ने इस साल इन कामों के लिए जंगल में प्रवेश
करने का परमिट नहीं दिया है.
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